मधेपुरा के घैलाढ़ में बिहार आईसीडीएस पोषण अभियान के अंतर्गत पेपरलेस अभियान के तहत फाइलों का संधारण करने हेतु बाल विकास परियोजना द्वारा सेविकाओं को मोबाइल तो उपलब्ध करा दिया गया मगर वाउचर राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जबकि विभाग द्वारा उक्त राशि का आवंटन भी कर दिया गया है.
एक तरफ राशि का अभाव तो दूसरी और विभागीय कार्रवाई का डर होने से सेविकाओं के लिए विभागीय मोबाइल जी का जंजाल प्रतीत होने लगा है. प्रखंड क्षेत्र में संचालित 107 आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को विभाग द्वारा मोबाइल उपलब्ध कराया गया. आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा वार्ड में परिवार पंजी का सर्वे, वार्ड में गर्भवती धात्री एवं पोषाहार आदि परियोजना से संबंधित फाइलों का संधारण पेपर के बदले मोबाइल में करने का निर्देश दिया गया. इस कार्य हेतु प्रत्येक माह मोबाइल वाउचर हेतु ₹200 का भुगतान सेविका को विभाग द्वारा किए जाने का प्रावधान है मगर मोबाइल आपूर्ति के 5 माह बाद भी वाउचर की राशि का भुगतान नहीं किए जाने से सेविका के समक्ष समस्याएं उत्पन्न हो गई है. जबकि राशि विभाग द्वारा आवंटित कर दिया गया है.
वहीं नाम नहीं छापने के शर्त पर कई सेविकाओं ने बताया कि एक तो विभाग द्वारा न्यूनतम मानदेय दिया जाता है जिससे भी पूर्व के 17 माह का वेतन नहीं मिला है. परिवार का भरण पोषण करना कठिन हो रहा है. ऊपर से प्रत्येक माह मोबाइल वाउचर भरवाने में कई जरूरत की चीजों को नजरअंदाज कर भरपाई करना पड़ रहा है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZPQw7ntU2eHxqRXfZBlnPM-iJCpwp1Wc7ZIPAvN1THBHiv2v_adcbYJXEIlBAWOTAz1xV1XjCTMz7hSp0r3EpCCAcoiJO-jEqtnl6ocHfIpIlOwgwg-FK33EDx5QRWlNTw27AGsc7egw/s640/Lalendra+ji+New.png)
एक तरफ राशि का अभाव तो दूसरी और विभागीय कार्रवाई का डर होने से सेविकाओं के लिए विभागीय मोबाइल जी का जंजाल प्रतीत होने लगा है. प्रखंड क्षेत्र में संचालित 107 आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका को विभाग द्वारा मोबाइल उपलब्ध कराया गया. आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा वार्ड में परिवार पंजी का सर्वे, वार्ड में गर्भवती धात्री एवं पोषाहार आदि परियोजना से संबंधित फाइलों का संधारण पेपर के बदले मोबाइल में करने का निर्देश दिया गया. इस कार्य हेतु प्रत्येक माह मोबाइल वाउचर हेतु ₹200 का भुगतान सेविका को विभाग द्वारा किए जाने का प्रावधान है मगर मोबाइल आपूर्ति के 5 माह बाद भी वाउचर की राशि का भुगतान नहीं किए जाने से सेविका के समक्ष समस्याएं उत्पन्न हो गई है. जबकि राशि विभाग द्वारा आवंटित कर दिया गया है.
वहीं नाम नहीं छापने के शर्त पर कई सेविकाओं ने बताया कि एक तो विभाग द्वारा न्यूनतम मानदेय दिया जाता है जिससे भी पूर्व के 17 माह का वेतन नहीं मिला है. परिवार का भरण पोषण करना कठिन हो रहा है. ऊपर से प्रत्येक माह मोबाइल वाउचर भरवाने में कई जरूरत की चीजों को नजरअंदाज कर भरपाई करना पड़ रहा है.
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सेविकाओं के लिए जी का जंजाल बना मोबाइल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 22, 2020
Rating:
![सेविकाओं के लिए जी का जंजाल बना मोबाइल](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgGhEGKdX8iBgoif6mhxnRTNgRKuLrZjyRSeF7_Zd_fLVrd1X2BcaYO_67riTpIutkJJjIEbgIRoi1g6H8nTiVm0wCv_BwbIDud1qSn5BKy_qHl8GnWU46Qipkpw90JuzIdePL56QrO8I8/s72-c/WhatsApp+Image+2020-02-22+at+8.30.04+PM.jpeg)
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