'मोक्ष की प्राप्ति के लिए ज्ञान और योग जरूरी': दो दिवसीय संतमत सत्संग का समापन

मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड के गोपीपुर में आयोजित दो दिवसीय प्रखंड स्तरीय संतमत सत्संग का 5 वां वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन गुरुवार को शाम में समापन हो गया.

प्रखंड के मंगरवाड़ा और इसरायण कला पंचायत के सीमा पर स्थित मिडिल स्कूल के समीप आयोजित अधिवेशन सत्संग के दूसरे समापन के दिन संतमत अनुयायी भक्ति भाव के सागर में गोता लगाते रहे. 

सत्संग में मौजूद हजारों श्रद्धालु भक्तजनों को संबोधित करते हुए संतमत के शाही स्वामी जी महाराज के विशेष कृपापात्र पूज्यपाद स्वामी योगानंद जी महाराज ने कहा कि महर्षि मेंही परमहंस दास जी महाराज ने जनकल्याण के लिए संतमत को स्थापित किया था. लोगों को दहेज और बाल विवाह, नशा, चोरी आदि पंच पाप कर्मों से अलग रहने की बात कहते हुए कहा कि ऐसे पापों से बचना चाहिए. स्वामी योगानंद जी ने कहा कि भगवान शंकर और ब्रह्मा जी का संवाद है कि ब्रह्मा ने कहा कि हे भगवान शंकर जीव का कल्याण कैसे होगा ? भगवान शंकर ने कहा कि हे ब्रह्मा जी इसके लिए कोई योग को अधिक बताते हैं, तो कोई ज्ञान को विशेष बताते हैं, परन्तु मेरा मानना है कि योग के बिना ज्ञान और ज्ञान के बिना योग अधूरा है. इसलिए मोक्ष की प्राप्ति पाने के इच्छा करने वाले जीवात्मा के लिए योग और ज्ञान दोनों का होना जरूरी है. योग का अर्थ है जोड़ना और ज्ञान का अर्थ होता है जानना. पहले जानना आवश्यक है. योग को जाने बिना हमें (जीवात्मा ) को ईश्वर से वियोग हो गया है. जीवात्मा को परमात्मा से मिलना ही योग है. इसके लिए संतमत में मानस जप, मानस ध्यान और दृष्टि योग, शब्द योग और सूरत शब्द योग आदि चार क्रियाएं बतलाई जाती है. इन्हीं क्रियाओं के द्वारा जीवात्मा परमात्मा से मिल जाती है और सारे दुखों से मुक्ति मिल जाती है. शाश्वत सुख को प्राप्त कर जीवात्मा को दुनियां में आवागमन के चक्र से मुक्ति मिल जाता है. 
महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज ने कहा है कि "आवागम न सम दुख दूजा है, नहीं जग में कोई" इसके निवारण के लिए प्रभु की भक्ति करनी चाहिए. स्वामी शारदानंद जी महाराज ने कहा कि जीव हत्या से दूर होकर जीवन की सच्चाई को समझते हुए जनकल्याण की सोच के साथ जीवन व्यतीत करने वाला इंसान ही ऊंचाई को छू सकता है. मनुष्य के जीवन में सदाचारीता, आत्मअनुशासन और जन कल्याण की भावना का होना अति आवश्यक है. अपने प्रवचन के दौरान दयानंद जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन के लिए अध्यात्म बहुत ही जरूरी है. संतों के बताए रास्ते पर चलने से जीवन की सही मूल्य को समझने का अवसर मिलता है. 

उन्होंने कहा कि संस्कार से युक्त मानव की तरह जीवन जीने की आदत खुद के अंदर डालनी चाहिए. स्वामी वासुदेव जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन और समाज निर्माण कार्य में अपने जीवन को समर्पित करना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है. लोगों को संतों के बताए मार्ग पर सदैव चलने से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है. सत्संग में अपने प्रवचन के दौरान अमृत बाबा ने कहा कि संतमत सत्संग का उद्देश्य विश्व में शांति और सद्भाव के मार्ग को प्रसस्त करना है. उन्होंने कहा कि माता-पिता, गुरूजन और अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए जिससे एक संस्कारित मानव बनने का मौका मिलता है और आगे बढ़ने में सहायता मिलती है. 

मौके पर हजारों की संख्या में दूरदराज से सत्संग प्रेमी पहुंचे हुए थे. आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजन समिति के अध्यक्ष दरोगी यादव, सचिव जनार्दन यादव, कोषाध्यक्ष जयकांत यादव, अरूण कुमार यादव, पैक्स अध्यक्ष ओमप्रकाश कुमार,  संतोष कुमार, कृतनारायण यादव,अजय कुमार, राकेश कुमार, श्रवण कुमार सिंह, डॉ रमेश ठाकुर, उमेश मंडल, डॉ प्रभाष यादव आदि पूरे जोश और उत्साह के साथ लगे हुए हैं. 

मौके पर हजारों की संख्या में दूरदराज से सत्संग प्रेमी पहुंचे हुए थे. सत्संग स्थल पर योगानंद जी महाराज से सैकड़ों महिला / पुरुष ने संतमत का दीक्षा ग्रहण किया. इधर सत्संग स्थल पर बाबा योगानंद जी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कुमारखंड प्रखंड संतमत सत्संग महाधिवेशन कमिटी के सर्वसम्मति से अध्यक्ष के रूप में डाक्टर प्रभाष कुमार यादव, सचिव के रूप में प्रमोद कुमार यादव,  उपसचिव के रूप में छोटेलाल यादव का चयन कर मनोनीत किया गया.
(रिपोर्ट: मीना कुमारी)
'मोक्ष की प्राप्ति के लिए ज्ञान और योग जरूरी': दो दिवसीय संतमत सत्संग का समापन 'मोक्ष की प्राप्ति के लिए ज्ञान और योग जरूरी': दो दिवसीय संतमत सत्संग का समापन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 26, 2019 Rating: 5

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