
50 किलो के बोरी में 35 से 40 किलो तक ही रहता है गरीबों के निवाले. इतना ही नहीं पीडीएस डीलरों को सरकारी मापदंड के मुताबिक एसऍफ़सी गोदाम में तौल कर नहीं दिया जाता है अनाज और लम्बे समय से गोदाम में तराजू भी है ख़राब. हद की इन्तहा तो ये है कि विभागीय अधिकारी डीलरों को मैनेज करने की देते नसीहत और इन गोदाम में वर्षों से चल रहा कम अनाज देने का गोरखधंधा पर इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है.
इस मामले को लेकर एसडीएम वृंदा लाल ने कहा मामले की जाँच कर दोषी अधिकारी पर किया जाएगा सख्त कार्रवाई. बता दें कि मधेपुरा जिले के सदर प्रखंड मुख्यालय के बगल में स्थित एसऍफ़सी गोदाम है, जहाँ गरीबों के निवाले पर एसएफसी के पदाधिकारी ही डाल रहे हैं डाका. यहाँ अधिकारी और ठेकेदार की है मनमानी चलती है.
अगर हम पीएडीएस बैग की बात करें तो एक बैग में 10 से 15 किलोग्राम तक अनाज कम रहता है. जन प्रणाली विक्रेता के विरोध करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है, उलटे गौदाम के अधिकारी जन प्रणाली विक्रेता को मेनेज कर के चलने की देते हैं नसीहत. इस मामले को लेकर कई बार जन प्रणाली विक्रेता विभागीय वरीय अधिकारी को दे चुके हैं लिखित पत्र लेकिन फिर भी इस दिशा में आज तक नहीं हो सकी है कोई कार्रवाई. दरअसल पिछले एक सप्ताह पूर्व एसऍफ़सी गोदाम में डीलरों ने इस मामले में हंगामा भी किया था और एसडीएम को लिखित आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई थी. वहीं इस मामले में जब एसडीएम वृंदा लाल साहब से सवाल किया गया तो एसडीएम साहब खुद कहते हैं मुझे कोई शिकायत हीं नहीं किया है. अगर ऐसी बात है तो जाँच कर दोषी अधिकारी पर की जाएगी सख्त कार्रवाई.
अब देखना है कि इतने गंभीर मामले में जाँच कर दोषी अधिकारी पर करते हैं कार्रवाई या फिर मामले को ठंडे बसते में डाल कर गरीबों के निवाले पर डाका डाल रहे अधिकारी को दे देते हैं खुली छूट? सिस्टम पर उठता है एक बड़ा सवाल. इन सवालों के कटघरे में खड़ा है जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारी.
गरीबों के निवाले पर अधिकारी ही डाल रहे हैं डाका: एसएफसी गोदाम में पीडीएस अनाज का बड़ा घोटाला
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 23, 2019
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