राजनीति में सादगी की मिसाल चार बार विधायक रहे जागेश्वर हाजरा का निधन

सोनवर्षा से चार बार विधायक रहे सादगी की मिसाल जागेश्वर हाजरा का 104 वर्ष की आयु में आज सुबह निधन हो गया है. वे करीब एक पखवाड़े से बीमार थे।

जागेश्वर हाजरा मधेपुरा में विगत 15 साल से रह रहे थे और अपने पीछे तीन पुत्र और तीन पुत्री छोड़ गए हैं. विगत वर्ष बड़े पुत्र रामावतार हाजरा का निधन हुआ था. द्वितीय पुत्र डॉ उपेंद्र कुमार प्रियदर्शी दिल्ली में चिकित्सक हैं जबकि तृतीय पुत्र सत्येंद्र कुमार उदा किशुनगंज में कन्या मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी उदाकिशुनगंज हैं
बुधवार की सुबह 9.45 में निधन होने के बाद पैतृक गांव सहरसा जिला के सोनबरसा प्रखंड स्थित अगमा में उनका दाह संस्कार किया गया.

एक नजर स्मृतिशेष जागेश्वर हाजरा के व्यक्तित्व पर 

1952 में हुए प्रथम आम चुनाव से 1977 तक सोनवर्षा राज विधानसभा से चार बार विधायक रहे जागेश्वर हाजरा आज के चुनावी सिस्टम को हास्यास्पद बताते रहे. उनका कहना था कि अब नेता आमलोगों का प्रेम, सम्मान और सहानुभूति नहीं चाहते हैं. वे अपनी हैसियत दिखा कर वोट जुटाना चाहते हैं. जिनके पास जितनी गाड़ियां हैं, जिनसे मिलने में जितना समय लगे, वे उतने महान. जिस सफेदपोश के साथ जितनी बंदूकें लहरायी जाये, वे उतने प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. पहले की तुलना में अब क्षेत्र छोटा हो गया है. फिर भी जनप्रतिनिधि एसी से बाहर नहीं निकलते हैं. 

पहले आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधान सभा पहुंचने वाले जागेश्वर हाजरा ने अपना चुनाव प्रचार खुद साइकिल पर घूम-घूम कर किया था. 20 वर्षो तक जनप्रतिनिधि रहे जागेश्वर हाजरा को आज तक न तो अपनी गाड़ी नसीब नहीं हो पायी है और न ही आत्मरक्षा के लिए किसी हथियार का लाइसेंस ही ले पाये. पूर्व विधायक का पैतृक आवास आज भी फूस और बांस का ही बना हुआ है. कहते हैं कि जनता के लिए काम करने वालों को डर किससे होगा. वह हमेशा जनता के बीच ही रहते हैं. उन्होंने अपने सभी चुनावों में प्रचार साइकिल से ही घूम-घूम कर किया था. थक जाने पर पांव-पैदल ही लोगों के पास जाते थे. 

घर नहीं बनाने की बात पर उन्होंने कहा कि जब वह एमएलए थे तब 70 दिनों का सत्र चलता था और दस रुपये रोज के हिसाब से मिलते थे. इसके अलावे दो सौ रुपये प्रतिमाह का भत्ता मिलता था. आज उन्हें 32 हजार रुपये पेंशन मिलती है, जिसमें से घर खर्च के बाद पैसा बचता ही नहीं है. सामान्य जीवन जीने वाले जागेश्वर हाजरा विधायक रहने के दौरान भी अखबार बिछाकर बरामदे में ही सोते थे. बताते हैं कि पटना के एमएलए फ्लैट में भी उनकी यही आदत थी. क्षेत्र से जाने वाले लोग अंदर कमरों में सोते थे और एमएलए साहब बाहर बरामदे में. हाजरा की पत्नी ही सबके लिए खाना बनाती थी. हाजरा बताते हैं कि कई बार इस बात की शिकायत सीएम से की जाती थी. आदत में सुधार नहीं लाने के कारण ही संभवत: 1962 में टिकट नहीं दिया गया.
(नि. सं.)
राजनीति में सादगी की मिसाल चार बार विधायक रहे जागेश्वर हाजरा का निधन राजनीति में सादगी की मिसाल चार बार विधायक रहे जागेश्वर हाजरा का निधन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 21, 2018 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.