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इस अवसर पर सन साइन स्कूल में कार्यक्रम आयोजित कर जीविका दीदियों को संबोधित करते हुए कहा कि कौशिकी कंपनी आज की तारीख में नवजात शिशु की तरह है. जिसका अस्तित्व जीविका और एनडीएस के कारण हुआ. 22 सितंबर 2017 को 11 जीविका दीदीयों ने एक-एक हजार रूपया लगा कर कंपनी का गठन किया. इस कंपनी के निगमन से लेकर परिचालन तक के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त हुआ. आज कंपनी अपने पैरों पर खड़ी है उसका कारण है इन दोनों संस्थाओं के द्वारा मार्गदर्शन, आर्थिक सहायता और प्रोत्साहन. कंपनी सुपौल मधेपुरा और सहरसा के 600 गांवों से 30 हजार दूध उत्पादक दीदियों को कौशिकी कंपनी के साथ जोड़ कर उसके आर्थिक और सामाजिक विकास करेगी.
एडीएम उपेंद्र कुमार ने कहा कि आज महिलाओं ने दिखा दिया हम किसी से कम नहीं है. यह किसानों का दुग्ध अवसीतन केंद्र है. जिसका सीधा लाभ किसानों, इससे जुड़े महिला किसान और जीविका दीदियों को मिलेगा.
क्या है योजना ?
कौशिकी महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी के दूध उत्पादक महिला सदस्य के द्वारा इसका शुभारंभ 11 अक्टूबर 2018 को किया जा रहा है. कंपनी को आगामी 2 सालों में करीब 600 ग्रामों में देरी वैल्यू चेन प्रोडक्ट के तहत दूध संकलन प्रणाली स्थापित करने तथा 30 हजार दूध उत्पादक महिलाओं को कंपनी से जुड़ने के लिए बिहार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से आर्थिक सहायता तथा एनडीडीबी डेहरी सर्विसेस से तकनीकी सहायता प्राप्त है. कंपनी प्राथमिकी तौर पर अपने सदस्यों से दूध संग्रह प्रसंस्करण एवं विपणन करने हेतु सदस्यों के आर्थिक लाभ तथा दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए पशु प्रजनन, खाद्य, चारा और संतुलित आहार प्रमुख सेवाएं प्रदान करने के लिए बनाई गई है.
इस क्षेत्र में दूध उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. खासकर महिलाएं को दूध व्यवसाय से जोड़कर उनके आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण द्वारा जो ग्रामीण आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ है. इसे ध्यान में रखते हुए कौशिकी महिला मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी ने निम्नलिखित विशेषताओं वाली दूध संकलन प्रणाली की स्थापना गांव में की. गांव स्तर पर स्वचालित मशीन द्वारा कंपनी से जुड़े सदस्यों के दूध की सही माप और दूध के फैट एवं एसएनएफ की सही जांच एक पारदर्शी कंप्यूटर प्रणाली से की जाएगी, ताकि उनके द्वारा आपूर्ति दूध की कीमत उन्हें मिल सके. गांव दूध संकलन केंद्र पर दूध आपूर्ति करने के लिए सदस्यों को उनके सदस्यता कोड के साथ दूध की मात्रा, गुणवत्ता और दूध की कुल कीमत की पर्ची दी जाएगी. जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके.
आने वाले समय में इसकी सूचना उनके मोबाइल पर एसएमएस से भी भेजी जाएगी. सदस्यों को उनके द्वारा आपूर्ति दूध का पूरा भुगतान हर 10 दिन के अंतराल पर 3, 13 और 23 तारीख को उनके बैंक खातों में जमा करा दिया जाएगा. इसकी सूचना उसके मोबाइल पर एसएमएस के द्वारा दे दी जाएगी. कंपनी के सालाना व्यापार सदस्यों के जमा शेयर पूंजी का लाभ और व्यापार में आपूर्ति की गई दूध की मात्रा के आधार पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. कंपनी गांव-गांव में स्वस्थ दूध उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि हेतु प्रशिक्षण और जागरूक कार्यक्रम कराएगी. दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए दूध उत्पादक सदस्यों के घर-घर जाकर पशु प्रजनन, खाद्य, चारा और संतुलित आहार सेवा प्रदान की जाएगी.
सदस्यों की मांग पर पशु आहार एवं खनिज मिश्रण की भी बिक्री कंपनी द्वारा शुरू की जाएगी. कंपनी अपने कार्य क्षेत्र के करीब 15 स्थानों पर अवतरण केंद्र स्थापित करेगी ताकि संकलित दूध को जल्द से जल्द ठंडा किया जा सके. इस कड़ी में मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर स्थित बीएमसी कंपनी का पहला दूध और शीतल केंद्र है. कंपनी गांव-गांव में दूध संकलन केंद्र खोलने एवं दूध उत्पादकों को सदस्य बनाने हेतु ग्राम बैठक आयोजित कर सदस्यता अभियान चला रही है. बाद में डीएम नवदीप शुक्ला और डीडीसी मुकेश कुमार भी 10 हजार लीटर की क्षमता वाले कौशिकी दुग्ध अवसीतन केंद्र पर पहुंच कर प्रोजेक्ट को देखा और चेयरमैन मीरा देवी की प्रसंसा की. जब अधिकारीयों ने बताया कि चेयरमेन मीरा देवी सिंहेश्वर प्रखंड के सुखासन की रहने वाली है और 11 निर्देशक मंडल में तीन मधेपुरा की जिसमें सुखासन की ही ममता चौपाल और मधेपुरा की रेणु देवी है.
मौके पर स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर डा० राकेश कुमार, डा० अजय कुमार, सुमित कुमार, जिला परियोजना प्रबंधक अजय कुमार सिंह, शेखर पाठक, अभिषेक कुमार, आर एस सिंह, विवेक कुमार, बीपीएम सुबीत कुमार, गुंजन कुमार, मनीष कुमार, दीपक कुमार, शाहनवाज अहमद, प्रकाश कुमार, प्रणव कुमार, डा० राजेश कुमार और सैकड़ों जीविका दीदियां मौजूद थी.
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जीविका दीदियों ने रचा इतिहास, अपनी मेहनत से खोले आय के द्वार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 11, 2018
Rating:
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