देवघर तक का रास्ता हुआ मुश्किल: बाबा भोले की राह में बाधा बन रहे मधेपुरा प्रखंड इलाके की सड़कें

मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड सड़कों का इतना हाल बुरा है कि पता ही नही चलता है कि सड़क गढ्ढे में है या सड़क में गढ्ढे. पिछले एक सप्ताह उसी गढ्ढे में ओवर लोड ट्रक या हाइवे के फस जाने से माह जाम की समस्या उत्पन्न हो गई है। 


जिससे चार से पाँच किलो मीटर सड़क पर ट्रकों का काफिला लगा रहता है। और आम जानो को परेशानी का सामना करना परता है। और कोई भी प्रतिनिधि या बड़े नेता या प्रशासनिक अधिकारी इसकी सुधि लेने वाला नहीं है। सब से चिंता का विषय यह है कि आज से पवित्र सावन माह के शुरू होने से सड़कों पर कांवड़िया का आवागमन शुरू हो चुका है। और प्रशासनिक अनदेखी का नजारा यह है कि चौसा  उदाकिशुनगंज मुख्य मार्ग जाम की समस्या से त्रस्त होने के बावजूद भी अबतक किसी भी पदाधिकारी या नेताओं ने इसकी सुधि तक नहीं ली । इस के लिए ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। लाजिमी है कि सावन माह में यह मार्ग भोले के भक्तों के लिये सबसे ज्यादा कष्टकारी साबित होगा।

जानकर बताते हैं की चौसा उदाकिशुनगंज मुख्य मार्ग मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, नेपाल आदि से चलकर आये कांवडियों के लिए भागलपुर के रास्ते देवघर पहुंचने का सबसे सस्ता और सरल मार्ग है। वहीं बिहार का देवघर माना जाने वाला बाबा सिंहेश्वर स्थान को भी जल चढ़ाने जाने वाले कांवडियों के लिये यह मात्र इकलौता रास्ता है। बाबा के कुछ भक्त महादेवपुर बरारी से जल उठा कर नौगछिया चौसा उदाकिशुनगंज मधेपुरा के रास्ते सिंहेश्वर स्थान में भी जला अभिषेक करते है। इस महीने लाखों-लाख की संख्या में बच्चे-बूढ़े, महिला-वृद्ध सभी तरह के श्रद्धालुगण कांवड़िया बनकर अपने देवाधिदेव महादेव को जल चढ़ाने घरों से निकलते हैं। केसरिया और भगवाधारी बमों द्वारा लगाये जानेवाले अखंड “बोलबम” के नारों से मानों यह पूरा इलाका ही गुंजायमान बना रहता है। सड़क किनारे बसे गांवों के लोग के द्वारा श्रद्धालुओं  चौसा,घोषई, कलासन, पुरैनी, उदाकिशुनगंज आदि जगहों पर स्थाई और अस्थाई शिविर बनाकर ग्रामवासी दिनरात कांवडियों की सेवा को तत्पर बने रहते हैं। परंतु इस बार का नजारा भोले के भक्तों के लिये बिल्कुल ही कठिनाइयों से भरा हुआ है।

 जाहिर सी बात है कि पगडंडीनुमा कमजोर सड़क पर इस बरसात के मौसम में भी दिनरात हजारों-हजार ओवरलोडेड ट्रकों के चलते रहने से यह मार्ग अब जर्जर ही नहीं बल्कि पूरी तरह बर्बाद ही हो चुका है। इस मार्ग में सैकड़ों जानलेवा गड्ढ़े बन जाने के कारण जहां-तहां ट्रकों का फंसना बदस्तूर जारी है। परिणामतः यह मार्ग पूरी तरह ही महाजाम की गाल में समा चुका है। वर्तमान परिस्थितियां तो अब ऐसी हो चुकी हैं कि लोग इस सड़क पर पैदल भी चलना अपने मौत को ही आमंत्रण देने जैसा मानने लगे हैं।  सबसे ज्यादा कष्टकारी परिस्थियां तो चौसा बस स्टैण्ड से घोषई कलासन ग्रामवासियों के परेशानी उत्पन्न हो गयी हैं कि, यह सड़क घोषई गांव की घनी आबादी के बीचों-बीच ही गुजरती हैं। यहां के लोगों ने तो अब भयाक्रांत हो अपने बच्चों को भी स्कूल जाने पर पाबंदी लगाना शुरू कर दिया है। लोगों को अपनी दैनिक जरूरतें तक पुरा करने के लिये सड़कों पर निकलना खतरे से खाली नहीं दिखता। घोषई ग्रामवासियों को अब यह चिंता भी सताने लगी है कि वे चाहकर भी इस बार कांवडियों की सेवा से शायद महरूम रह जायेंगे। कड़वी सच्चाई तो यह है कि पूर्व से ही अगर प्रशासन द्वारा नो इंट्री का पूरी ईमानदारी से सक्ती बरता गया होता तो निश्चित तौर पर आज का यह महाजाम लाईलाज बीमारी नहीं बनता या यूं कहें कि परिस्थितियां इतनी भयावह और विपरीत तो नहीं ही होती।

सारी परिस्थियां विपरीत रहने के बाबजूद भी यक्ष प्रश्न यह है कि क्या प्रशासनिक मौन और जनप्रतिनिधियों की घोर उपेक्षा का दंश इस बार बाबा भोले के भक्तों को भी झेलना पड़ेगा? समाजसेवी गोपाल दास, अमित झा, रूपेश पासवान, अजय खुशबू, रीतेश झा, रमण कुमार, सुदर्शन कुमार सुमन आदि ने कांवड़ियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन से सावन-भादो माह भर के लिए उदाकिशुनगंज और भटगामा में पुनः नो एंट्री जैसी सुविधाएं बहाल किये जाने का मांग किया है।
देवघर तक का रास्ता हुआ मुश्किल: बाबा भोले की राह में बाधा बन रहे मधेपुरा प्रखंड इलाके की सड़कें देवघर तक का रास्ता हुआ मुश्किल: बाबा भोले की राह में बाधा बन रहे मधेपुरा प्रखंड इलाके की सड़कें Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 28, 2018 Rating: 5

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