मधेपुरा में बिजली की
स्थिति इन दिनों फिर से बदतर होती जा रही है. पिछले तीन-चार वर्षों से स्थिति में
उल्लेखनीय सुधार हुए तो लोगों ने राहत की साँसें ली थी, पर अब इसकी आंखमिचौली
कष्टदायक हो रही है.
बिजली की स्थिति में
चौतरफा गिरावट मधेपुरा कुछ महीनों से झेल रहा है. जिले के कुछ इलाकों में जर्जर
तारों ने कई इंसानों और मवेशियों की जानें ली हैं तो जिले और शहर के लोगों को भी अब कई
घंटे बिना बिजली के रहना पड़ रहा है. हालाँकि प्रशासनिक दावे हकीकत से परे हैं.
बरसात में बिजली और भी
दुःखदायी हो चली है. और उपभोक्ता को सबसे बड़ा झटका तो तब लगता है जब बरसात में
वोल्टेज के उतार-चढ़ाव में बिजली से चलने वाले कई उपकरण ख़राब हो जाते हैं. कुछ ऐसी
ही स्थिति मधेपुरा जिला मुख्यालय के स्टेट बैंक रोड के ट्रांसफार्मर में खराबी से हुई
है. तीन-चार दिनों से आई खराबी से विद्यापुरी और लक्ष्मीपुर मोहल्ले के सैंकड़ों
परिवार पीड़ित हैं. कई फ्रिज, पंखे, बल्व आदि विभाग की लापरवाही की भेंट चढ़ चुके
हैं. क्या जम कर बिजली दर बढाने वाली सरकार इन उपकारणों को ठीक कराने का खर्च वहन
करेगी? और कल शाम से इस ट्रान्सफार्मर के पूरी तरह से ख़राब हो जाने की वजह से
लोगों को ‘लालटेन’ युग
का अहसास होने लगा है.
सुशासन बाबू के सात निश्चय
में से 'हर घर नल का पानी' योजना तो पता नहीं कब से आएगी, पर बिजली नदारद है तो अपने
मोटर से लोग नल में पानी तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसे में यदि कई लोग ये कह रहे
हैं कि पहले बिजली सेवा तो दुरुस्त कीजिए, फिर शुल्क बढ़ाइयेगा, तो इसमें शायद कुछ
भी गलत नहीं. कुछ लोग इसके पीछे अस्थिर सरकार को जवाबदेह मान रहे हैं तो कई लोग तो ये कह रहे हैं कि एक तो शहर बदसूरत, ऊपर से बिजली और पीने का
पानी नहीं तो आखिर हम जियें तो जियें कैसे....??
(वि. सं.)
[ वर्ष 2013 में लिखी हमारी इस रिपोर्ट को भी जरूर पढ़िए: एक शहर...जहाँ बिजली आते ही लोग खुशी से नाचने-गाने लगते हैं ]
[ वर्ष 2013 में लिखी हमारी इस रिपोर्ट को भी जरूर पढ़िए: एक शहर...जहाँ बिजली आते ही लोग खुशी से नाचने-गाने लगते हैं ]
जियें तो जियें कैसे ?: मधेपुरा में बिजली बदहाली की ओर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 26, 2017
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