

इसका विरोध करते हुए इस फैसले के
विरुद्ध व्यापक आंदोलन का आह्वान किया गया। सभा को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा सूरज मंडल, ई. हरीश
चंद्र मंडल, नेता अंगद यादव, रौशन यादव, भवेश यादव, उमेश ऋषिदेव आदि ने
संबोधित किया। सभा में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से मांग की गई कि मंडल
आयोग के समस्त सिफारिशों के सन्दर्भ में अब तक उठाये गए कदम पर एक रिपोर्ट
प्रस्तुत करें।
रोजगार के सन्दर्भ में प्रस्ताव में कहा गया कि 2013 में केंद्र
सरकार में 1, 54,841 भर्तियां हुई थीं जो 2014 में कम होकर 1, 26, 261 हो
गईं। मगर 2015 में भर्तियों की संख्या में भारी कमी हो जाती है। कितनी हो
जाती है? सवा लाख से कम होकर करीब सोलह हज़ार।
इतनी कमी तो तभी आ सकती है जब किसी ने स्पीड ब्रेक लगाया हो। 2015 में
केंद्र सरकार में 15,877 लोग की सीधी नौकरियों पर रखे गए। 74 मंत्रालयों
और विभागों ने सरकार को बताया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ी
जातियों की 2013 में 92,928 भर्तियां हुई थीं।
2014 में 72,077 भर्तियां हुईं। मगर 2015 में घटकर 8,436 रह गईं। नब्बे
फीसदी गिरावट आई है।
जनसभा में कहा कि मोदी सरकार का वादा था कि हर साल 2 करोड़ नौकरियां दी जाएंगी (लेकिन
15 लाख की मानव क्षमता रखने वाले रेलवे में अब मानव क्षमता है 13 लाख यानी
रेलवे से भी 2 लाख नौकरियों की कटौती)। रेलवे जैसे ही हालात है सैन्य सेवा
के। यूपीएससी के पदों में भी कटौती हुई है। पिछड़े वर्ग के लिए मंडल कमीशन की अनुशंसाओं को निरस्त कर, आरक्षण में
छेड़छाड़ कर, आरक्षण समाप्त करने के संघ के कई बार घोषित एजेंडा की दिशा में
मोदी सरकार का पहला कदम है। मंदिर, रोमियो, बूचड़खाना, नोटबंदी आदि के नाम पर जब तक जनता का ध्यान बँटा कर खेल हो जायेगा। संवैधानिक तौर पर पूर्व में पिछड़े वर्ग आयोग का दो बार गठन हुआ है : काका कालेलकर आयोग और मंडल आयोग। काका कालेलकर खुद ही अपनी अनुशंसाओं को नहीं लागू करने का निवेदन राष्ट्रपति को किये थे।
जनसभा में कहा कि मंडल आयोग को इतिहास के ठन्डे बक्से से निकाल कर आंशिक रूप से भी लागू करने में वर्षों लग गए। बावजूद आज तक यह सही ढंग से लागू नहीं है। मंडल रिपोर्ट कानूनी तौर पर
इतना ठोस है कि कोर्ट में इसे निरस्त करने के लंबे प्रयास को भी मुंह की खानी पड़ी। तब एक असंवैधानिक क्लॉज़, "क्रीमी लेयर" जबरन जोड़ा गया जिसे आज तक संसद ने भी मान रखा है। हाल में 120 पिछड़े वर्ग के सिविल सेवा में कम्पीट किये हुए
अभ्यर्थियों को मोदी सरकार ने "क्रीमी लेयर" की नई परिभाषा लागू कर लिस्ट
से हटा दिए और उस जगह को खाली रखा है। अब किसे पिछड़े वर्ग के लिस्ट में रखना है, किसे हटाना है, यह संसद के
माध्यम से मोदी सरकार अपने हाथ में लेना चाहती है। अतः यह नई कमीशन का
प्रावधान लाया जा रहा है। पिछड़े वर्ग की संख्या मंडल आयोग ने 52% माना था और चुकी 50% का सर्वोच्च न्यायालय का कैप था, तो 27% आरक्षण की अनुशंसा की गई थी। परंतु आज भी उल्टा आरक्षण लागू है यानि जेनेरल के 50% नौकरियों में
'मेरिट' पर आए पिछड़े और दलित अभ्यर्थियों को जेनेरल में स्थान नहीं दिया
जाता है। कई हाई कोर्ट ने इस असंवैधानिक परिभाषा पर मुहर लगाई है। सरकार और संसद चुप है। अब सरकार पिछड़े वर्ग में शामिल किये या हटाये जाने की पॉवर को लेकर उन वर्गों पर हमला करेगी जो उसके वोटर नहीं है।
मंडल सेना के प्रवक्ता बाल किशोर के द्वारा विरोध में कहा कि यह भी संभव है कि 'आर्थिक' आधार पर पिछड़े वर्ग की पहचान को सरकार
मान्यता दे दें। चूंकि यह कमीशन संविधान में संशोधन करके लाया जायेगा, तो
इसके पहले के संवैधानिक परिभाषा कि "शैक्षणिक और सामाजिक" रूप से पिछड़े
वर्ग की भी बदला हुआ माना जायेगा। आरक्षण को निरस्त करने के लिए काँग्रेस समय से सरकारी नौकरियां ख़त्म
की जा रही हैं। अब सरकारी उच्च शिक्षा पर हमला है और सीटें काम करते हुए
इन्हें "निजीकरण" करके कॉरपोरेट को सौंप दिया जायेगा। यह बड़ी साज़िश है। जैसे ईवीएम का खेल हुआ है, वैसे ही अब पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को निरस्त किया जायेगा।
जनसभा में मंडल सेना ने 11 अप्रैल महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती से
14 अप्रैल बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जयंती के बीच 'रोजगार बचाओ- देश बचाओ,
आरक्षण बचाओ-समाज बचाओ' आंदोलन चलाने का आह्वान किया है। साथ ही, कोसी क्षेत्र में भूमि सर्वे में हो रहे धांधली और पैसे उगाही
जा विरोध करते हुए स्थानीय प्रशासन को इसपर तुरंत अंकुश लगाने के लिए
चेतावनी दी है।चुनाव में ईवीएम के कारण हो रहे गड़बड़ी का भी विरोध किया गया।
(ए.सं.)
मोदी सरकार द्वारा नए पिछड़े वर्ग आयोग के गठन का मंडल सेना ने किया विरोध
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 08, 2017
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