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न्याय की जगी उम्मीद |
बिहारीगंज विधायक की गाड़ी से ठोकर लगने के बाद भले ही घायल लक्ष्मण साह सिलीगुड़ी में जिन्दगी और मौत के बीच जूझ रहा हो और उसका परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हो, पर महज एक प्राथमिकी दर्ज होने में यहाँ 12 दिन लग गए.
और वह भी तब जब घायल लक्ष्मण साह की पुत्री मामले में कहीं से न्याय पाता नहीं देखकर पुलिस अधीक्षक के पास गुहार लगाई. मिली जानकारी के अनुसार मामला मुरलीगंज थाना काण्ड संख्यां 117/2017 अंतर्गत धारा 279, 337 तथा 338 भादवि के अंतर्गत दर्ज किया गया है जिसमें विधायक की गाड़ी के चालक को अभियुक्त बनाया गया है.
मधेपुरा टाइम्स अपने पाठकों को बता दे कि 9 अप्रैल को घटी ये हाई प्रोफाइल मामला शायद दबा ही रह जाता यदि सबसे पहले मधेपुरा टाइम्स ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जानकारी मिलते ही, प्रमुखता से प्रकाशित न करती. इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और खबर पर विधायक निरंजन मेहता ने आपत्ति जताई, पर हमने खबर के समर्थन में गवाहों के बयान का हवाला देते हुए अपनी खबर को अक्षरश: सही बताया.
हालांकि हम पाठकों को फिर से बताना चाहते हैं कि मामला हाई प्रोफाइल है और सिर्फ प्राथमिकी दर्ज होना काफी नहीं होता है. अभी अनुसंधान बाकी है. पर एक बात यह भी तय है कि उधर पीड़ित लक्ष्मण साह जिन्दगी और मौत के बीच जूझ रहा है और सिर्फ प्राथमिकी से उसे न्याय नहीं मिलेगा. हम पाठकों को ये भी बताते चलें कि भारत में दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर भी लगाईं धाराएँ जमानतीय होती है.
वैसे मामले में कल भारतीय जनता पार्टी ने पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए कल सड़क जाम करने का मन बनाया है.
(नि. सं.)
और वह भी तब जब घायल लक्ष्मण साह की पुत्री मामले में कहीं से न्याय पाता नहीं देखकर पुलिस अधीक्षक के पास गुहार लगाई. मिली जानकारी के अनुसार मामला मुरलीगंज थाना काण्ड संख्यां 117/2017 अंतर्गत धारा 279, 337 तथा 338 भादवि के अंतर्गत दर्ज किया गया है जिसमें विधायक की गाड़ी के चालक को अभियुक्त बनाया गया है.
मधेपुरा टाइम्स अपने पाठकों को बता दे कि 9 अप्रैल को घटी ये हाई प्रोफाइल मामला शायद दबा ही रह जाता यदि सबसे पहले मधेपुरा टाइम्स ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जानकारी मिलते ही, प्रमुखता से प्रकाशित न करती. इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और खबर पर विधायक निरंजन मेहता ने आपत्ति जताई, पर हमने खबर के समर्थन में गवाहों के बयान का हवाला देते हुए अपनी खबर को अक्षरश: सही बताया.
हालांकि हम पाठकों को फिर से बताना चाहते हैं कि मामला हाई प्रोफाइल है और सिर्फ प्राथमिकी दर्ज होना काफी नहीं होता है. अभी अनुसंधान बाकी है. पर एक बात यह भी तय है कि उधर पीड़ित लक्ष्मण साह जिन्दगी और मौत के बीच जूझ रहा है और सिर्फ प्राथमिकी से उसे न्याय नहीं मिलेगा. हम पाठकों को ये भी बताते चलें कि भारत में दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर भी लगाईं धाराएँ जमानतीय होती है.
वैसे मामले में कल भारतीय जनता पार्टी ने पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए कल सड़क जाम करने का मन बनाया है.
(नि. सं.)
विधायक की गाड़ी से ठोकर मामले में FIR दर्ज, एमटी ने छापी थी सबसे पहले खबर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 21, 2017
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