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और इसके बाद अस्पताल प्रबंधन को जमकर फटकार लगायी.
डीएम ने खुद भी किया स्वीकार अस्पताल में दवाई रहते मरीजों को नहीं
दी जाती है दवाई.
दूसरी तरफ मधेपुरा सदर अस्पताल में मरीजों की भर्ती हेतु परिजनों को लगानी पड़ती है गुहार. घंटों अस्पताल गेट पर तड़पता रहा बुजुर्ग मरीज, लेकिन चिकित्सकों ने नहीं ली भर्ती.
पर मधेपुरा टाइम्स के पहल पर अस्पताल प्रबंधन ने खुद मरीज के पास पहुंचकर सीरियस बुजुर्ग मरीज को किया घंटों बाद अस्पताल में भर्ती. सदर
अस्पताल में जहाँ चिकित्सकों की मनमानी से परेशान हैं लोग वहीँ मरीज दवाई और भर्ती के लिए चिकित्सक से गुहार लगाते रहते हैं. हद की इंतहा तो ये है कि अस्पताल में दवाई रहते भी मरीजों को बाहर से दवाई खरीदनी पड़ती है.
मधेपुरा टाइम्स के सवाल पर डीएम मो. सोहैल ने अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया. ज्ञात हो कि इन दिनों मधेपुरा सदर अस्पताल भगवान् भरोसे है. अस्पताल की विधि व्यवस्था पर उठ रहा है एक बड़ा सवाल? सवालों के कटघरे में है अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन. जहाँ परिजनों को अपने मरीजों की भर्ती हेतु अस्पताल में घंटों चिकित्सक से लगानी पड़ती है गुहार. वहीँ चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधन की मनमानी से मरीज सहित परिजन हैं खासे परेशान. डीएम ने घंटों दवाई पंजी की जांच की, अस्पताल परिसर में कई घंटों तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. दवाई काउंटर पर लगी रही मरीजों की भीड़ दवाई के लिए मरीज रहे परेशान तो वहीँ अपने मरीजों को अस्पताल में भर्ती हेतु घंटों अस्पताल गेट पर मरीज को लेकर गिडगिडाते एक गम्हरिया की रहने वाली कौशल्या देवी नामक महिला परिजन. उधर मुरलीगंज से आये उदय चौधरी नामक एक शख्स को भी अस्पताल चिकित्सक ने दवाई रहते लिख डाली बाहर की दवाई. जबकि अस्पताल दवाई पंजी के मुताबिक़ तीन लाख से अधिक दवाई गोदाम में पड़ी है. लेकिन ये लोग मरीजों को नहीं दे रहे हैं दवाई. वैसे डीएम ने अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया.
पर मधेपुरा टाइम्स के पहल पर अस्पताल प्रबंधन ने खुद मरीज के पास पहुंचकर सीरियस बुजुर्ग मरीज को किया घंटों बाद अस्पताल में भर्ती. सदर
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मधेपुरा टाइम्स के सवाल पर डीएम मो. सोहैल ने अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया. ज्ञात हो कि इन दिनों मधेपुरा सदर अस्पताल भगवान् भरोसे है. अस्पताल की विधि व्यवस्था पर उठ रहा है एक बड़ा सवाल? सवालों के कटघरे में है अस्पताल प्रबंधन और जिला प्रशासन. जहाँ परिजनों को अपने मरीजों की भर्ती हेतु अस्पताल में घंटों चिकित्सक से लगानी पड़ती है गुहार. वहीँ चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधन की मनमानी से मरीज सहित परिजन हैं खासे परेशान. डीएम ने घंटों दवाई पंजी की जांच की, अस्पताल परिसर में कई घंटों तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. दवाई काउंटर पर लगी रही मरीजों की भीड़ दवाई के लिए मरीज रहे परेशान तो वहीँ अपने मरीजों को अस्पताल में भर्ती हेतु घंटों अस्पताल गेट पर मरीज को लेकर गिडगिडाते एक गम्हरिया की रहने वाली कौशल्या देवी नामक महिला परिजन. उधर मुरलीगंज से आये उदय चौधरी नामक एक शख्स को भी अस्पताल चिकित्सक ने दवाई रहते लिख डाली बाहर की दवाई. जबकि अस्पताल दवाई पंजी के मुताबिक़ तीन लाख से अधिक दवाई गोदाम में पड़ी है. लेकिन ये लोग मरीजों को नहीं दे रहे हैं दवाई. वैसे डीएम ने अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया.
सदर अस्पताल में डीएम का औचक निरीक्षण: अनियमितता पर बरसे, होगी कार्रवाई
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 20, 2017
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