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प्रो० चंद्रशेखर ने कहा कि जुमला पढ़कर देश की गद्दी हासिल करने वाले नरेंद्र मोदी को, जो इस स्तर के
लीडरशिप की कामना करते हैं, जुमलेबाज नहीं होना चाहिए. मार-धाड़ वाली फिल्म
की तरह चिल्ला-चिल्लाकर बोलने से देश का भला नहीं हो सकता है. हिन्दुस्तान जैसे
देश का भला वैसे ही लीडर से हो सकता है जो संवेदनशील हो और जिसमे देश के 6634
जातियों की दीवार को भावनात्मक रूप से गिरा सकने की क्षमता हो. उन्होंने कहा कि लोगों ने धोखे में आकर उन्हें शासन दे दिया, पर जनता पछताएगी और समय पर
उन्हें जवाब देगी.
मधेपुरा टाइम्स के स्टूडियो में आधे घंटे से
अधिक चले इंटरव्यू का पहला भाग हम सवाल-जवाब के रूप में यहाँ रख रहे हैं. पूरे इंटरव्यू
का वीडियो मधेपुरा टाइम्स के वीडियो चैनल पर उपलब्ध है.
मधेपुरा टाइम्स: आपदा प्रबंधन
मंत्री बनने के बाद आप कोसी तथा बिहार के विकास में सरकार की उपलब्धियों को आप किस
तरह जनता के सामने रखेंगे?
प्रो० चंद्रशेखर: ये बात तो तय है
कि क्रिटिक्स हर बातों की निकाली जाती है. बापू को राष्ट्रपिता देश के लोगों ने ही
बनाया, पर देश के ही लोग उनके क़त्ल के गुनाहगार हो गए. क्रिटिसिज्म हर बात की हो सकती
है. बिहार विकास के विश्वकर्मा के रूप में नीतीश कुमार प्रखर हैं, चाहे संसाधन
कहीं से लाना पड़े. थोड़ी चिंता इस बात की जरूर है कि कार्यों की गुणवत्ता जिस स्तर
की होनी चाहिए उसमे कमी है. जिस तरह के विकास के मॉडल बनाये जा रहे हैं, उसमें यदि
जनता का सहयोग हो तो जिस तरह के विकास बिहार में होंगे, वैसा विकास लोगों ने देखा
नहीं होगा.
मधेपुरा टाइम्स: वर्ष 2008 की
कुसहा त्रासदी कोसी के लिए सबसे कष्टकारी रही है और 8 वर्ष बीत जाने के बाद अभी भी
बहुत से पीड़ितों को पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है. क्या कर रही है सरकार?
प्रो० चंद्रशेखर: जहाँ तक मुझे
जानकारी है, इस महकमे को हमारा योजना विकास विभाग देखता है. कोसी त्रासदी की
विभीषिका फिर न करे, लोगों को देखना पड़े. उस समय सामाजिक न्याय के योद्धा लालू
प्रसाद यादव ने प्रधानमत्री को लाया था और सहायता भी दिलाई थी. सरकार का जो कमिटमेंट
था और जिस तरह योजनाबद्ध तरीके से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोसी के विकास का
संकल्प पूरा करने में लगे हैं, क्या आपको दिख नहीं रहा है कि पहले से बेहतर कोसी
का निर्माण हो रहा है?
जहाँ
तक पुनर्वास का सवाल आपने उठाया है तो
पुनर्वास के रूप में जो भी राशि वर्ल्ड बैंक और नाबार्ड से ली गई थी उसमें उसके नियम
हैं और उन नियमों को पूरा करने में कुछ तकनीकी अड़चन आ गई थी. पुनर्वास की स्कीम को
ही काट दिया गया था. पहले एक लाख घर बनने थे, बाद में उसे काटकर 65 हजार कर दिया
गया. फिर भी लक्ष्य पूरा करने में कठिनाई आ रही थी. फिर भी द्वितीय चरण के विकास
में लगभग 30,000 करोड़ रूपये की सहायता कोसी को मिल रही है. जब भी शासन विकास की
जिम्मेवारी लेती है तो लोगों का सहयोग उसमे जरूरी है. सात निश्चय के प्रोग्राम पर
सरकार जिस तरह से कदम बढ़ा चुकी है, उससे विकास तय है.
मधेपुरा टाइम्स: निश्चय यात्रा के
दौरान मुख्यमंत्री ने नया कोसी बनाने की बात कही जो उन्होंने 2008 के बाढ़ के बाद
भी कही थी. क्या काम हो रहे हैं बेहतर कोसी बनाने के लिए?
प्रो० चंद्रशेखर: एक साल के अन्दर जहाँ मुख्यमंत्री सरकार लेकर
गाँव पहुंचे तो क्या ये सरकार की संवेदनशीलता नहीं है? क्या स्वतंत्र भारत के
इतिहास में कभी ऐसा हुआ है? अपने सभी 52 महकमों को लेकर सरकार गाँवों में बस जाता
हो तो और यदि सरकार की संवेदनशीलता को कोई विरोधी कम आंकता हो तो वो मानसिक
दिवालियेपन का शिकार है.
मधेपुरा टाइम्स: नोटबंदी पर नीतीश
जी और लालू जी के सुर अलग-अलग सुनाई दे रहे हैं. क्या ये गठबंधन में दरार के संकेत
नहीं हैं?
प्रो० चंद्रशेखर: नहीं, ऐसा नहीं
है. गठबंधन के दरार डालने की जुगत में कुछ लोग है. नोटबंदी का हाल सब जानते हैं. मैं
मंत्री हूँ, मैं दिल्ली गया था, 2000 रूपये की जरूरत पडी तो सारे एटीएम बंद पड़े
थे. एक एम्स का एटीएम खुला था जिसमे 70 लोग लाइन में लगे थे. ये देश को कहाँ ले
जाना चाहते हैं. ये
हवाला कारोबारियों को मालामाल करने के लिए किया गया है. हर तरह
के व्यवसाय ठप्प हो गए हैं. मुट्ठी भर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की जुगत में
सरकार लगी है और सबसे बड़ी मार खेतिहरों और गरीबों पर पड़ी है. जहाँ 30% जनता
निरक्षर हैं, वहां कैशलेस इंडिया कोरी कल्पना साबित होगी. परिणाम काफी भयावह
होंगें, 50 दिन पूरे होने वाले हैं. प्रधानमंत्री किस चौराहे पर जनता से सजा
खोजेंगे, उस चौराहे को हम खोज रहें हैं. वो भागेंगे कुछ न कुछ कह कर.
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मधेपुरा टाइम्स: पर नीतीश जी तो नोटबंदी
का समर्थन कर रहे हैं?
प्रो० चंद्रशेखर: मुझे लगता है,
नीतीश जी व्यक्तिगत तौर पर अपना निर्णय लिए हैं. उन्हें लगा होगा कि इससे शायद काले
धन वापस आएंगे और इसका रिजल्ट कुछ बेहतर होगा. पर मुझे लगता है कि तीस तारीख के
बाद शायद माननीय मुख्यमंत्री जी को भी इसका एहसास होगा. अभी उनके प्रवक्ताओं और
प्रदेश अध्यक्ष के भी बयान कुछ ऐसे ही आने लगे हैं. संकेत मिल रहे हैं और शायद तीस
तारीख के बाद वास्तविक स्थिति को समझकर वे अपना फैसला बदल सकते हैं.
(और क्या कहा आपदा मंत्री ने, यहाँ
तक का पूरा इंटरव्यू सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें)
(अगले भाग में: 'आपदा
मंत्री के चेहरे पर अक्सर ये कैसा दर्द उभर कर आता है?': सिस्टम
पर प्रो० चंद्रशेखर का हमला)
(रिपोर्ट: कुमार शंकर सुमन,
उप-संपादक. सभी फोटो व वीडियो: मुरारी सिंह)
‘प्रधानमंत्री किस चौराहे पर जनता से सजा खोजेंगे?’ आपदा मंत्री मधेपुरा टाइम्स स्टूडियो में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 29, 2016
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