आज़ सुबह कुछ ही घंटे की बारिश ने जिला
मुख्यालय मधेपुरा की सूरते-हाल पर पानी फेर दिया और जहाँ नगर परिषद् बदहाली के
आंसू बहाती नजर आई वहीँ नगर परिषद् क्षेत्र के लोगों के पास अपनी बेबसी पर आंसू
बहाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा था. क्योंकि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को
कोस-कोस कर लोग हार चुके हैं.
मधेपुरा की जनता के मन मॆ एक
बड़ा सवाल
उठता रहता है कि सरकारी राशि के बंदरबाँट की ही वजह से शहर में जल निकासी के लिये कई करोड़ योजना धरातल पर कही नज़र नहीँ आ रही है. बाजार से लेकर मुहल्ले तक मधेपुरा की जनता पदाधिकारी कॊ कोसते है औऱ उनका दुख दर्द कौन सुनने वाला है. थोड़ी सी बारिश क्या हुई मानो शहर में बाढ़ ही आ गया हो.
उठता रहता है कि सरकारी राशि के बंदरबाँट की ही वजह से शहर में जल निकासी के लिये कई करोड़ योजना धरातल पर कही नज़र नहीँ आ रही है. बाजार से लेकर मुहल्ले तक मधेपुरा की जनता पदाधिकारी कॊ कोसते है औऱ उनका दुख दर्द कौन सुनने वाला है. थोड़ी सी बारिश क्या हुई मानो शहर में बाढ़ ही आ गया हो.
जिला
मुख्यालय का पूर्णिया गोला चौक हो, जहाँ चुनाव के वक्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार का
बसेरा होता है, या फिर लक्ष्मीपुर मोहल्ले की सड़क, सब जगह का हाल बुरा
हाल है. कई जगह घरों में पानी घुसा तो लोग सामन समेत कहीं और रहने के लिए लाचार हो
गए. मधेपुरा के कई लोग साफ शब्दो मॆ कहते है कि नगर परिषद मॆ आपसी लड़ाई के कारण
मधेपुरा के विकास का काम रुक गया. दुःख की बात ये है कि इस नवरात्रि के मौके पर शहर
के इस हाल को देखकर अब भगवान् पर ही एक भरोसा बचा है क्योंकि नगर परिषद् ही है
भगवान् भरोसे.
हालांकि बाद में मधेपुरा के जिलाधिकारी मो० सोहैल तथा एसडीओ संजय कुमार निराला आदि ने घूमकर शहर का जायजा लिया और संभावित उपायों पर चर्चा की.

हालांकि बाद में मधेपुरा के जिलाधिकारी मो० सोहैल तथा एसडीओ संजय कुमार निराला आदि ने घूमकर शहर का जायजा लिया और संभावित उपायों पर चर्चा की.
बारिस से मधेपुरा शहर में बाढ़ सा दृश्य उत्पन्न: बंदरबांट और आपसी लड़ाई ने नगर परिषद् को पीछे छोड़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 08, 2016
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