‘इस्लाम में न तो हिंसा की जगह है और न ही ‘ताजिया’ की’: इमाम, जामा मस्जिद मधेपुरा

इस्लाम एक बहुत ऊँचा धर्म है. इसमें हिंसा की कोई जगह नहीं है. इस धर्म में मानवता को इतनी जगह दी गई है कि नमाज पढ़ते वक्त भी यदि बगल में कोई आदमी गड्ढे में भी गिरने वाला हो तो नमाज रोक कर पहले उस आदमी को बचाना चाहिए. जब इस्लाम यहाँ तक कहता है तो हिंसा की जगह इस धर्म में कैसे हो सकती है. इस्लाम के नाम पर हिंसा फ़ैलाने वाले और निर्दोष तथा मासूम को सताने वाले बिलकुल गलत कर रहे हैं, इस्लाम में इसे हराम माना गया है.
            मुहर्रम के मौके पर मधेपुरा टाइम्स से बातचीत करते हुए मधेपुरा के जामा मस्जिद के इमाम मो० मुस्तकीम ने इस्लाम धर्म में मुहर्रम का महत्त्व बताया पर कहा कि ताजिया का इस्लाम में कोई महत्त्व नहीं है और ताजिया की इस्लाम में कोई जगह ही नहीं है. लोगों ने इसे अपना ढंग, खेलकूद और तमाशा बना रखा है.
    सुनें इस वीडियो में क्या कहा जामा मस्जिद के इमाम ने, यहाँ क्लिक करें.
‘इस्लाम में न तो हिंसा की जगह है और न ही ‘ताजिया’ की’: इमाम, जामा मस्जिद मधेपुरा ‘इस्लाम में न तो हिंसा की जगह है और न ही ‘ताजिया’ की’: इमाम, जामा मस्जिद मधेपुरा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 12, 2016 Rating: 5

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