मधेपुरा जिले के शंकरपुर थानाक्षेत्र के मधेली में कई सूनी आँखें अब भी गुड़िया के आने की उम्मीद में टकटकी लगाये दरवाजे पर निहारते हुऐ थक नहीं रही है.
मृतका के लगभग 60 वर्षीय नाना उपेन्द्र यादव आज मधेपुरा टाइम्स की टीम को गुड़िया के बारे मे बताते रो पड़े. कहा, एक बार हमलोग के पास आ जाती तो हमलोग उसे अपना लेते. बड़े ही लाड से पाला था उसे. अगर उस लडके साथ भागी तो वो इससे शादी कर लेता, मेरी बच्ची को अधमरा कर फेक क्यों दिया?
प्यार में मौत पाने वाली गुडिया के नाना और मामी के अनुसार दो भाई और एक बहन में गुड़िया और उसका भाई सौरभ कुमार अपने ननिहाल में रह कर ही पढाई करता था. उसी के साथ साथ पढाई कर रहे बगल के ही कुशेश्वर शर्मा के बेटे गजेन्द्र शर्मा ने क्या जादू डाला कि 12 बजे रात को घर से भाग गई थी. ग्रामीणों के मुताबिक़ नेक-दिल गुड़िया चरित्र के मामले मे बहुत ही मजबूत थी. यह घटना कैसे हो गई समझ मे ही नही आ रहा है. हालांकि प्रेम प्रसंग से ही जुडा लगता है क्योकि गुडिया के भगने से महज छ: दिन पहले ही उसने आधार कार्ड बनवाने गई थी तो आधार कार्ड के फार्म में फोन नंबर के जगह पर उसने गजेन्द्र शर्मा के मोबाईल का नंबर ही दिया हुआ था. मामी नीलम देवी ने बताया कि भागने के कुछ दिन बाद उसका एक दोस्त जो सीआईडी का काम करता था, उसने उसके भाई सौरभ को फोन पर बात कराया लेकिन गुस्से के कारण सौरभ ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया. लेकिन यह बात घर मे किसी को नही बताया.
हालाकि पहली बार गुडिया 9 फरवरी 2016 को भागी थी और 4 जून को वापस घर आ गई थी. फिर दूसरी बार 21 जून को भागी तो मरणासन्न हालत में चौसा के खलीफा टोला पोखर के पास कराहती मिली थी और पांच दिनों तक जिन्दगी की लड़ाई लड़ने के बाद दूसरी ओर कुशेश्वर शर्मा के घर से सभी मर्द फरार है. सिर्फ उसकी भाभी मौजूद थी जो कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. वही पड़ोसी चंदुला देवी ने ना-ना करते आखिर माना कि दोनो के बीच में प्रेम प्रसंग का मामल चल रहा था.
कुल मिला कर फरेबी मुहब्बत के सौदागर ने फिर एक मासूम को अपने जाल मे फंसा कर सिसक-सिसक कर मरने पर मजबूर कर दिया. अब पूरी कहानी को सामने लाकर गुड़िया के हत्यारों को सजा दिलवाना प्रशासन के लिये एक इम्तिहान जैसा है.
मृतका के लगभग 60 वर्षीय नाना उपेन्द्र यादव आज मधेपुरा टाइम्स की टीम को गुड़िया के बारे मे बताते रो पड़े. कहा, एक बार हमलोग के पास आ जाती तो हमलोग उसे अपना लेते. बड़े ही लाड से पाला था उसे. अगर उस लडके साथ भागी तो वो इससे शादी कर लेता, मेरी बच्ची को अधमरा कर फेक क्यों दिया?
प्यार में मौत पाने वाली गुडिया के नाना और मामी के अनुसार दो भाई और एक बहन में गुड़िया और उसका भाई सौरभ कुमार अपने ननिहाल में रह कर ही पढाई करता था. उसी के साथ साथ पढाई कर रहे बगल के ही कुशेश्वर शर्मा के बेटे गजेन्द्र शर्मा ने क्या जादू डाला कि 12 बजे रात को घर से भाग गई थी. ग्रामीणों के मुताबिक़ नेक-दिल गुड़िया चरित्र के मामले मे बहुत ही मजबूत थी. यह घटना कैसे हो गई समझ मे ही नही आ रहा है. हालांकि प्रेम प्रसंग से ही जुडा लगता है क्योकि गुडिया के भगने से महज छ: दिन पहले ही उसने आधार कार्ड बनवाने गई थी तो आधार कार्ड के फार्म में फोन नंबर के जगह पर उसने गजेन्द्र शर्मा के मोबाईल का नंबर ही दिया हुआ था. मामी नीलम देवी ने बताया कि भागने के कुछ दिन बाद उसका एक दोस्त जो सीआईडी का काम करता था, उसने उसके भाई सौरभ को फोन पर बात कराया लेकिन गुस्से के कारण सौरभ ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया. लेकिन यह बात घर मे किसी को नही बताया.
हालाकि पहली बार गुडिया 9 फरवरी 2016 को भागी थी और 4 जून को वापस घर आ गई थी. फिर दूसरी बार 21 जून को भागी तो मरणासन्न हालत में चौसा के खलीफा टोला पोखर के पास कराहती मिली थी और पांच दिनों तक जिन्दगी की लड़ाई लड़ने के बाद दूसरी ओर कुशेश्वर शर्मा के घर से सभी मर्द फरार है. सिर्फ उसकी भाभी मौजूद थी जो कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. वही पड़ोसी चंदुला देवी ने ना-ना करते आखिर माना कि दोनो के बीच में प्रेम प्रसंग का मामल चल रहा था.
कुल मिला कर फरेबी मुहब्बत के सौदागर ने फिर एक मासूम को अपने जाल मे फंसा कर सिसक-सिसक कर मरने पर मजबूर कर दिया. अब पूरी कहानी को सामने लाकर गुड़िया के हत्यारों को सजा दिलवाना प्रशासन के लिये एक इम्तिहान जैसा है.
'न जाने लड़के ने इस पर कौन सा जादू कर दिया था’: गुड़िया की मौत पर गाँव में सन्नाटा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 09, 2016
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