मधेपुरा जिला चौसा प्रखंड मुख्यालय स्थित काली स्थान के पास जमीनी विवाद में हाई कोर्ट के आदेश पर जमीन खाली करवाने आये प्रशासन को कल मंगलवार को पहले दिन भले ही बैरंग लौटना पड़ा, पर आज आखिर प्रशासन सफल हुई.
जमीन खाली कराने को लेकर कल दिनभर पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. पीड़ित लोगों द्वारा चौसा विजय घाट सड़क को घंटों जाम कर आवागमन को भी प्रभावित किया गया.
बताया गया कि चौसा काली स्थान के पास वर्षों से रणविजय यादव बनाम दशरथ पासवान, झालिया देवी, प्रदीप यादव के बीच वर्षों से जमीनी विवाद चल रहा था. इसी बीच राणविजय यादव, झालिया देवी, प्रदीप यादव लड़ते-लड़ते इस दुनियां को छोड़ कर चले गए. लेकिन उनके वारिस लड़ने लगे. आखिर कार हाई कोर्ट ने जमीन खाली करने का आदेश दे दिया. हाई कोर्ट के आदेश पड़ मंगलवार को अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश कुमार, डीएसपी रहमत अली, डीसीएलआर विनय कुमार चौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी मिथिलेश बिहारी वर्मा, अंचल अधिकारी अजय कुमार, थाना अध्यक्ष सुमन कुमार सिंह अपने दल बल के साथ जमीन खाली कराने चौसा गए पर माहौल अत्यधिक ख़राब देखकर उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.
इस मामले में दसरथ पासवान का कहना था हम और झालिया देवी, प्रदीप यादव भूमिहीन है. सड़क किनारे पिछले 40 वर्षों से घर बनाकर रहते आ रहे हैं. 1997 में हम लोग पर्चा कटवाए हैं. हम लोगों को इसी जमीन सरकार द्वारा इदिरा आवास भी मिला है जो हम लोगों ने बनवाया भी है और इसी पर अपना गुजरबसर करते आ रहे हैं. इस पर मेरा कब्ज़ा है.
उधर रणविजय यादव के पुत्र का कहना था कि इस जमीन को मेरे स्वर्गवासी पिता ने चौसा बस्ती के स्वर्गीय इरफ़ान से ख़रीदा था और ये लोग इसपर जबरदस्ती घर बना कर रह रहे थे. कोर्ट का फैसला मेरे पक्ष में है. प्रशासन मुझे जमीन खाली करवा के दें. खाली करवाने आए अधिकारी ने पहले गाँव के बुद्धिजीवी लोगों से कहा कि कोर्ट का आदेश है किसी तरह खाली करवाने में मेरी मदद करें तो कल लोग सिर्फ घर में रखे सामान ही सिर्फ निकलवा सके. कल लाख चाहने के बाद भी प्रशासन का बुलडोजर नहीं चल सका.
पर आदेश माननीय उच्च न्यायालय का था और आज प्रशासन को जमीन खाली कराना ही था और आज चौसा थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने विरोध करने वालों को समझा बुझा कर आज आसानी से बिना किसी ख़ास पुलिस बल के जेसीबी की मदद से घर को तोड़ कर गिरा दिया. कई दशकों से मकान बना कर रहे रहे पीड़ित परिवार के लोगों की आँखों के आंसू भले निकल रहे थे पर वे भी इस बात को समझ रहे कि क़ानून सबसे ऊपर है. वहीँ इलाके के लोग बिना बल प्रयोग किये आज इस मामले को प्यार से सुलझा लेने पर थानाध्यक्ष की कार्यशैली की सराहना कर रहे थे.
जमीन खाली कराने को लेकर कल दिनभर पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी. पीड़ित लोगों द्वारा चौसा विजय घाट सड़क को घंटों जाम कर आवागमन को भी प्रभावित किया गया.
बताया गया कि चौसा काली स्थान के पास वर्षों से रणविजय यादव बनाम दशरथ पासवान, झालिया देवी, प्रदीप यादव के बीच वर्षों से जमीनी विवाद चल रहा था. इसी बीच राणविजय यादव, झालिया देवी, प्रदीप यादव लड़ते-लड़ते इस दुनियां को छोड़ कर चले गए. लेकिन उनके वारिस लड़ने लगे. आखिर कार हाई कोर्ट ने जमीन खाली करने का आदेश दे दिया. हाई कोर्ट के आदेश पड़ मंगलवार को अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश कुमार, डीएसपी रहमत अली, डीसीएलआर विनय कुमार चौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी मिथिलेश बिहारी वर्मा, अंचल अधिकारी अजय कुमार, थाना अध्यक्ष सुमन कुमार सिंह अपने दल बल के साथ जमीन खाली कराने चौसा गए पर माहौल अत्यधिक ख़राब देखकर उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा.
इस मामले में दसरथ पासवान का कहना था हम और झालिया देवी, प्रदीप यादव भूमिहीन है. सड़क किनारे पिछले 40 वर्षों से घर बनाकर रहते आ रहे हैं. 1997 में हम लोग पर्चा कटवाए हैं. हम लोगों को इसी जमीन सरकार द्वारा इदिरा आवास भी मिला है जो हम लोगों ने बनवाया भी है और इसी पर अपना गुजरबसर करते आ रहे हैं. इस पर मेरा कब्ज़ा है.
उधर रणविजय यादव के पुत्र का कहना था कि इस जमीन को मेरे स्वर्गवासी पिता ने चौसा बस्ती के स्वर्गीय इरफ़ान से ख़रीदा था और ये लोग इसपर जबरदस्ती घर बना कर रह रहे थे. कोर्ट का फैसला मेरे पक्ष में है. प्रशासन मुझे जमीन खाली करवा के दें. खाली करवाने आए अधिकारी ने पहले गाँव के बुद्धिजीवी लोगों से कहा कि कोर्ट का आदेश है किसी तरह खाली करवाने में मेरी मदद करें तो कल लोग सिर्फ घर में रखे सामान ही सिर्फ निकलवा सके. कल लाख चाहने के बाद भी प्रशासन का बुलडोजर नहीं चल सका.
पर आदेश माननीय उच्च न्यायालय का था और आज प्रशासन को जमीन खाली कराना ही था और आज चौसा थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने विरोध करने वालों को समझा बुझा कर आज आसानी से बिना किसी ख़ास पुलिस बल के जेसीबी की मदद से घर को तोड़ कर गिरा दिया. कई दशकों से मकान बना कर रहे रहे पीड़ित परिवार के लोगों की आँखों के आंसू भले निकल रहे थे पर वे भी इस बात को समझ रहे कि क़ानून सबसे ऊपर है. वहीँ इलाके के लोग बिना बल प्रयोग किये आज इस मामले को प्यार से सुलझा लेने पर थानाध्यक्ष की कार्यशैली की सराहना कर रहे थे.
आखिर अवैध निर्माण पर चल ही गया बुलडोजर: बल प्रयोग नहीं प्यार से ही सुलझा मामला
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 15, 2016
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