जिनका कभी किसी तरह की अशांति फैलाने से वास्ता नहीं रहा और यदि प्रशासन ने उनके खिलाफ यह कहते हुए नोटिश भेज दी कि आपसे अशांति का खतरा है और आप आकर इस सम्बन्ध में एक बांड भरें, तो परेशानी स्वाभाविक है. पर चुनाव के दौरान अक्सर ये देखा जा रहा है कि कई ऐसे लोगों के नाम से भी नोटिस भेज दी जाती है.
मधेपुरा के सदर एसडीओ कार्यालय पहुंचे मधेपुरा थाना के सुखासन पंचायत के नीलाम्बर राय (35 विकलांग), धीरेन्द्र दास (72), कार्तिक प्रसाद (55), मोo मुसलिम (60), मो० हासिम (65), रघुनाथ सिंह (87), जयराम (58), राज किशोर (60) आदि का कहना था कि आजतक हम कभी भी किसी विवाद तक में नहीं रहे हैं और अशांति फैलाने की बात ही कहाँ है. किसी ने दुश्मनी से प्रशासन से मिलकर हमारा नाम 107 के तहत डलवा दिया है. इससे पहले भी हमारा नाम कभी इस तरह नहीं आया था. ये कहानी सिर्फ इन लोगों की नहीं है, बल्कि ऐसे सैंकड़ों लोग हैं जिनका नाम भूलवश या साजिश के तहत 107 द.प्र.सं. (दंड प्रक्रिया संहिता) के तहत कार्यवाही में आ जाता है और लोग नाहक परेशान होते हैं.
ग्रामीण राजनीति के लगातार स्तरहीन होते जाने का ये भी एक उदहारण है कि कई भले लोग भी चुनाव के समय शातिरों की हरकत से परेशान हो जाते हैं.
मधेपुरा के सदर एसडीओ कार्यालय पहुंचे मधेपुरा थाना के सुखासन पंचायत के नीलाम्बर राय (35 विकलांग), धीरेन्द्र दास (72), कार्तिक प्रसाद (55), मोo मुसलिम (60), मो० हासिम (65), रघुनाथ सिंह (87), जयराम (58), राज किशोर (60) आदि का कहना था कि आजतक हम कभी भी किसी विवाद तक में नहीं रहे हैं और अशांति फैलाने की बात ही कहाँ है. किसी ने दुश्मनी से प्रशासन से मिलकर हमारा नाम 107 के तहत डलवा दिया है. इससे पहले भी हमारा नाम कभी इस तरह नहीं आया था. ये कहानी सिर्फ इन लोगों की नहीं है, बल्कि ऐसे सैंकड़ों लोग हैं जिनका नाम भूलवश या साजिश के तहत 107 द.प्र.सं. (दंड प्रक्रिया संहिता) के तहत कार्यवाही में आ जाता है और लोग नाहक परेशान होते हैं.
ग्रामीण राजनीति के लगातार स्तरहीन होते जाने का ये भी एक उदहारण है कि कई भले लोग भी चुनाव के समय शातिरों की हरकत से परेशान हो जाते हैं.
107 द.प्र.सं. के तहत नोटिस मिलने से भले लोगों को परेशानी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 02, 2016
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