कहते हैं कि ऊपर वाले की लीला भी अजीब होती है. कभी तो वह किसी की जिन्दगी को दुखों से भर देता है तो कभी खुशियों की इतनी बारिश कर देता है कि बरबस लोग ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कर बैठते हैं.
करीब छ: महीने पहले मधेपुरा जिले के गम्हरिया थानाक्षेत्र के खाढ गाँव की कंचन देवी जब एक हत्या के मामले में गिरफ्तार होकर जेल जा रही थी तो अपनी आँखों के आगे उसे सब कुछ अँधेरा नजर आ रहा था. जेल जाते समय कंचन अकेला होते भी अकेली नहीं थी. तीन माह का गर्भ लेकर जेल जाते समय सबकुछ बर्बाद नजर आ रहा था. पर अचानक आज सबकुछ बदल गया. बीती रात कंचन को दर्द शुरू हुआ तो जेल में डॉक्टरों और नर्स की टीम कंचन के साथ थी और सुबह करीब पांच बजे अचानक नवजात के रोने की आवाज से पूरा वार्ड गूँज गया.
करीब छ: महीने पहले मधेपुरा जिले के गम्हरिया थानाक्षेत्र के खाढ गाँव की कंचन देवी जब एक हत्या के मामले में गिरफ्तार होकर जेल जा रही थी तो अपनी आँखों के आगे उसे सब कुछ अँधेरा नजर आ रहा था. जेल जाते समय कंचन अकेला होते भी अकेली नहीं थी. तीन माह का गर्भ लेकर जेल जाते समय सबकुछ बर्बाद नजर आ रहा था. पर अचानक आज सबकुछ बदल गया. बीती रात कंचन को दर्द शुरू हुआ तो जेल में डॉक्टरों और नर्स की टीम कंचन के साथ थी और सुबह करीब पांच बजे अचानक नवजात के रोने की आवाज से पूरा वार्ड गूँज गया.
कंचन को बेटा हुआ था. पर अभी झोली में ऊपर वाले से और भी खुशियाँ भरने वाली थी. पता चला कि उधर उच्च न्यायालय, पटना से भी कंचन को जमानत मिल चुकी है. आज शाम का दृश्य और भी अजीब था जब कंचन जेल से नवजात के साथ घर जाने को बाहर निकली. परिजनों में इस बात की होड़ लगी थी कि कौन उस बच्चे को पहले गोद ले. हो भी क्यों न, परिजनों का मानना था कि बेटे ने बाहर आते ही माँ को जेल से बाहर जो निकाल लिया.
जेल में महिला को सुबह हुआ बेटा, शाम में नवजात के साथ हुई जेल से बाहर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 01, 2016
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