डीएम ने एचएम से पूछा, “जब 4-5 हजार पाने वाले निजी स्कूल के शिक्षक बेहतर शिक्षा दे सकते हैं तो 20 से 35 हजार पाने वाले सरकारी स्कूल के शिक्षक क्यों नहीं?”
मधेपुरा जिले के मधेपुरा प्रखंड के बिरैली के म. वि. बरेली बजार में पहुचे डीएम मो. सोहैल और एसपी विकास कुमार को ग्रामीणों ने विधालय में समय पर शिक्षक के नही पहुचने, मध्यान्ह भोजन बंद रहने तथा चालू रहने पर भी घटिया भोजन की शिकायत की. डीएम ने तत्काल एचएम को बुला कर व्यवस्था सुधारने की हिदायत दी और कहा कि जब 4 और 5 हजार रुपये मे शिक्षक निजी विद्यालयों में बेहतर शिक्षा दे रहे हैं तो 20 हजार से 35 हजार रुपये वेतन वाले शिक्षक अच्छी शिक्षा और व्यवस्था क्यो नही दे सकते हैं. विधालय में 633 छात्र, छात्रा नामांकित है और उपस्थिति सौ से भी कम है.
विद्यालय में 7 शिक्षकों मे जिलाधिकारी के आने की खबर के बावजूद चार ही गुरू जी विधालय में पधारे थे. एक मंटू कुमार प्रशिक्षण में थे तो बबिता कुमारी, सुप्रिया कुमारी सीएल पर थी, जिनके आवेदन ऐसे लग रहे थे कि एक ही व्यक्ति ने अलग अलग कलम से लिखा है. वहीँ निक्की कुमारी का आगमन और प्रस्थान भी भरा हुआ था.
मध्यान्ह भोजन के चावल नही रहने के कारण मध्यान्ह भोजन नहीं बनने की बात कही. डीएम श्री सोहेल ने ग्रामीणों से कहा 6 व्यक्तियों की एक कमिटी बनाई जाय. प्रत्येक दिन एक व्यक्ति विद्यालय की व्यवस्था को देखे तो विद्यालय का हर क्षेत्र में विकास संभव है.
मौके पर एसडीओ संजय कुमार निराला, डीपीएम मिथिलेश कुमार, कम्यूनिटी कॉर्डिनेटर मनोज कुमार सिंह, सविता कुमारी, जीविका मित्र विकास कुमार सहित सैकडों ग्रामीण मौजूद थे.
डीएम ने एचएम से पूछा, “जब 4-5 हजार पाने वाले निजी स्कूल के शिक्षक बेहतर शिक्षा दे सकते हैं तो 20 से 35 हजार पाने वाले सरकारी स्कूल के शिक्षक क्यों नहीं?”
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 30, 2016
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