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पर जिला प्रशासन की जिम्मेवारी सिर्फ इतने पर ही ख़त्म नहीं हो जाती है. बहुत से लोगों का मानना है कि छात्र कदाचार के लिए हैं लाचार और उन्हें लाचार बनाया है यहाँ की गिरी हुई शिक्षा व्यवस्था और गिरे हुए शिक्षक. स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई का वातावरण समाप्त जैसा प्रतीत होता है. छात्र और शिक्षकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बीच मधेपुरा में मिहनती छात्र घुटन महसूस कर रहे हैं. कुछ शिक्षक जहाँ अपने कर्त्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से कर रहे हैं तो वहीँ अधिकाँश शिक्षक इसे मौज मारने की नौकरी समझ रहे हैं. स्कूल में न बच्चे न बही, दस से चार हाहा हीही.
गलती सरकार की भी है. उन अंकों के आधार पर आप नौकरी देते रहे हैं जो अंक कदाचार करके उन्होंने प्राप्त किया था. जो जीता वही सिकंदर की तर्ज पर नौकरी के लिए कदाचार जरूरी था. आप कड़ी प्रतियोगिता का आयोजन करवा लेते ताकि आज बहुत से मिहनती छात्र फिसड्डी साबित न होते और ‘चोर’ सरकारी नौकरी नहीं कर रहे होते. हमारी बात पर भरोसा न हो तो एक बार सारे शिक्षकों का टेस्ट लेकर देखिये, शर्म से आँखें झुकी रह जायेगी जब बहुत सारे राष्ट्र निर्माता ‘स्कूल’ को ‘स्कुल’ और ‘दूध’ को ‘दुध’ लिखेंगे और उन्हें राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में फर्क नजर नहीं आएगा. वैसे भी पूर्व में परीक्षा के दौरान वीक्षक बने शिक्षकों के कर्म का इतिहास को नहीं जानत है जग में.
जो भी हो, कदाचारमुक्त परीक्षा शिक्षा व्यवस्था में सुधार का पहला कदम है और मधेपुरा पर शिक्षा माफियाओं के द्वारा लगाये गए धब्बों की सफाई हो रही है. इंटरमीडिएट परीक्षा 2016 स्वच्छ, शांतिपूर्ण और कदाचारमुक्त होने पर हमने कई अधिकारियों, पुलिसकर्मियों, अभिभावकों, दुकानदारों आदि की इसपर राय जाननी चाही तो सबों ने इसे बेहतरीन कहा. आप भी सुनें, यहाँ क्लिक करें.
सबों ने कहा, ‘शानदार रही इंटर परीक्षा’ पर सिर्फ परीक्षा में ही नहीं, पढ़ाई पर भी हो कड़ाई
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 06, 2016
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