
जी हाँ, मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल का रेफरल अस्पताल, जो 5 एकड़ के कैम्पस में 100 बेड का होना था और इसका विशाल भवन वर्ष 1987 ई0 में पूर्व मुख्यमंत्री डा० जगन्नाथ मिश्रा के कार्य काल में 39 लाख रूपये की लागत से बनकर तैयार हो गया था, अब उद्धारक की बाट जोहने लगा है. इसकी अनुमानित लागत 50 करोड़ से भी उपर की होगी और इस अति-महत्वपूर्ण अस्पताल का शिलान्यास 1982 ई. में हुआ था.
बिहार सरकार द्वारा यहां पांच चिकित्सक, दो ए ग्रेड नर्स, दो लिपिक, एक कम्पाउन्डर, एक रसोईया तथा एक नाइट गार्ड का पद स्वीकृत भी किया गया था, लेकिन किसी कारणवश नाइटगार्ड को छोड़ बांकी किसी भी चिकित्सक और अन्य कर्मचारी को यहां न ही पदस्थापित किया गया और न ही अस्पताल को चालू करने का कोई प्रयास किया. और अब परिणाम यह है कि यह अस्पताल अपने अस्त्वि को ही बचाने के संघर्ष कर रहा है.
बता दें कि, यदि दो साल को छोड़ दें, तो वर्ष 1987 ई० से लेकर अबतक अब तक लगातार मधेपुरा जिले का नेतृत्व सांसद के रूप में कभी लालू यादव तो कभी शरद यादव और दूसरी बार वर्तमान सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव कर रहें हैं. यही नहीं, इसके अलावे लालू-राबड़ी शासन काल में उदाकिशुनगंज विधान सभा क्षेत्र के
विधायक डा० रविन्द्रचरण यादव जो अब भाजपा में चले गये हैं, लागातार मंत्री रहे फिर भी अस्पताल को चालू करवाने की जहमत किसी नहीं उठाई.
हैरत की बात तो यह भी है कि जब बिहार में पिछली बार नीतीश कुमार की सरकार बनी तब से इसी अनुमंडल के बिहारीगंज विधान सभा क्षेत्र की विधायक डा० रेणु कुशवाहा लगातार मंत्री रहीं जो वर्तमान में भाजपा में चली गई है. इसके अलावे इसी अनुमंडल के आलमनगर विधान सभा क्षेत्र के विधायक नरेन्द्र नारायण यादव वैसे तो 1995 से ही लगातार विधायक है और नीतीश कुमार के पहली और दूसरी सरकार में लगातार मंत्री पद को भी सुशोभित करते रहे हैं, पर वे भी अपने ही अनुमंडल के इस अस्पताल को नजर अंदाज करते रहे. अस्पताल के चालू नहीं होने के कारण अनुमडंलवासियों सहित लोगों में यदि भारी आक्रोश और असंतुष्टि है तो ऐसा होना लाजिमी ही है.
हालांकि मधेपुरा के जिला पदाधिकारी मो० सोहैल ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग और भवन निर्माण विभाग से बात कर राशि आबंटित करके अस्पताल को चालू करने का जल्द प्रयास किया जाएगा.
बिहार सरकार द्वारा यहां पांच चिकित्सक, दो ए ग्रेड नर्स, दो लिपिक, एक कम्पाउन्डर, एक रसोईया तथा एक नाइट गार्ड का पद स्वीकृत भी किया गया था, लेकिन किसी कारणवश नाइटगार्ड को छोड़ बांकी किसी भी चिकित्सक और अन्य कर्मचारी को यहां न ही पदस्थापित किया गया और न ही अस्पताल को चालू करने का कोई प्रयास किया. और अब परिणाम यह है कि यह अस्पताल अपने अस्त्वि को ही बचाने के संघर्ष कर रहा है.
बता दें कि, यदि दो साल को छोड़ दें, तो वर्ष 1987 ई० से लेकर अबतक अब तक लगातार मधेपुरा जिले का नेतृत्व सांसद के रूप में कभी लालू यादव तो कभी शरद यादव और दूसरी बार वर्तमान सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव कर रहें हैं. यही नहीं, इसके अलावे लालू-राबड़ी शासन काल में उदाकिशुनगंज विधान सभा क्षेत्र के

हैरत की बात तो यह भी है कि जब बिहार में पिछली बार नीतीश कुमार की सरकार बनी तब से इसी अनुमंडल के बिहारीगंज विधान सभा क्षेत्र की विधायक डा० रेणु कुशवाहा लगातार मंत्री रहीं जो वर्तमान में भाजपा में चली गई है. इसके अलावे इसी अनुमंडल के आलमनगर विधान सभा क्षेत्र के विधायक नरेन्द्र नारायण यादव वैसे तो 1995 से ही लगातार विधायक है और नीतीश कुमार के पहली और दूसरी सरकार में लगातार मंत्री पद को भी सुशोभित करते रहे हैं, पर वे भी अपने ही अनुमंडल के इस अस्पताल को नजर अंदाज करते रहे. अस्पताल के चालू नहीं होने के कारण अनुमडंलवासियों सहित लोगों में यदि भारी आक्रोश और असंतुष्टि है तो ऐसा होना लाजिमी ही है.
हालांकि मधेपुरा के जिला पदाधिकारी मो० सोहैल ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग और भवन निर्माण विभाग से बात कर राशि आबंटित करके अस्पताल को चालू करने का जल्द प्रयास किया जाएगा.
(रिपोर्ट: रूद्र नारायण यादव)
दिग्गज नेताओं के मधेपुरा में 28 साल से बनकर तैयार इस विशाल रेफरल अस्पताल को अब भी उद्धारक की तलाश
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 18, 2016
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