बाढ़ घोटाला 2008: कब सलाखों के पीछे होंगे करोड़ों डकारने वाले अधिकारी-कर्मचारी?

वर्ष 2008 में आई कुसहा बाढ़ त्रासदी में पीड़ितों के विभिन्न मुआवजे को लेकर मधेपुरा जिले के कुमारखंड प्रखंड में हुए करोड़ों रूपये के गबन और मुआवजे के बन्दरबाँट मामले की जांच आज तक पूरी नहीं हो सकी है. 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी आपदा अधिकारी कन्हैया प्रसाद सिंह दे रहे हैं जल्द जांचकर दोषी अधिकारी और कर्मचारी पर मामला दर्ज कराने का हवाला.
        अधिकारी के मुताबिक अब अंचल के नाजिर सहित कई कर्मचारी पर गाज गिर सकती है और एक सप्ताह के अन्दर बाढ़ घोटाले में संलिप्त कर्मचारी और अधिकारी पर से पर्दा उठ सकता है और मामला दर्ज हो सकता है.
        जानकारी के अनुसार सात वर्ष बीत जाने के बावजूद भी लोगों तक मुआवजा नहीं पंहुच पाना जिला प्रशासन और सरकार के लिए एक ख़ास चुनौती बना हुआ है. जिले के मुरलीगंज और कुमारखंड प्रखंड सहित ग्वालपाड़ा प्रखंड में भारी तबाही मची थी कई लोग अपनों से दूर हो गए थे. खेतों में बालू का अम्बार लगा हुआ था. तबाही के बाद जब मुआवजा की बारी आयी तो लोगों के नाम पर सरकारी स्तर पर अंचलाधिकारी और प्रखंड के कर्मचारी ने मुआवजे की जमकर बन्दरबाँट की. परिणाम यह हुआ कि सही लोगों तक मुआवजा नहीं पंहुच पाया और अधिकारी व अंचल कर्मचारी मालामाल हो गए. 

 कैसे हुआ खुलासा?: जब वर्ष 2009 में कुमारखंड प्रखंड वासी श्यामानंद सिंह ने सूचनाधिकार लगाया तो कुमारखंड प्रखंड में करोड़ों की मुआवजे की राशी में गबन और बन्दरबाँट की पोल खुली और अधिकारी सहित अंचल कर्मचारी की होश उड़ गये. यह मामला सिर्फ एक कुमारखंड प्रखंड का हीं नहीं लगभग सभी प्रखंडों में यही स्थति देखा जा रहा  है पर कुमारखंड तो सिर्फ बानगी भर है हालाँकि सूचनाधिकार लगाने वाले श्यामानंद सिंह पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए जिसकी सूचना श्री सिंह ने तत्कालीन जिलाधिकारी सहित पुलिस कप्तान को भी दिया था. इतना हीं नहीं उक्त मामले को निगरानी विभाग सहित मानवाधिकार तक ले जाया गया पर आज तक सिर्फ जांच पर जांच हीं चल रही है, जबकि वर्ष 2012 में तत्कालीन जिलाधिकारी गोपाल मीणा के कार्यकाल में निगरानी विभाग सहरसा ने निर्देश जारी किया था कि कमिटी तैयार कर उक्त मामले में जांचकर दोषी कर्मचारी और अधिकारी पर मामला दर्ज करें. लेकिन निगरानी विभाग के दिये गये निर्देशों का पालन आज तक नहीं हो पाया और त्रासदी पीड़ितों के विभिन्न मदों के मुआवजे में गबन-घोटाले मामले की जांच आज भी हो रहे हैं ढ़ाक के तीन पात साबित. 

 उम्मीद नए मंत्री से: बहरहाल अब लोगों को नये आपदा मंत्री प्रो.चन्द्रशेखर से उम्मीदें जगी है कि बाढ़ घोटाले में संलिप्त अधिकारी और कर्मचारी पर से पर्दा उठेगा और ये विपदा में त्राहिमाम कर रहे पीड़ितों के पैसे डकार लेने वाले भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी हो सकते हैं सलांखे के पीछे. इस बाबत आपदा मंत्री ने कहा कि विभागीय अधिकारी को सख्त निर्देश दिया गया है और कुमारखंड बाढ़ घोटाले मामले की जल्द जांच होगी और दोषी अधिकारी व कर्मचारी पर मामला दर्ज होगा. उन्होंने कहा है कि शामिल कोई भी अधिकारी बख्शे नहीं जाएगें. बताया गया कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार खुद इस मामले को लेकर सख्ती से निपटने का निर्देश दिए हैं.
(इस वीडियो में सुनें कैसे क्या हुआ? यहाँ क्लिक करें.)
बाढ़ घोटाला 2008: कब सलाखों के पीछे होंगे करोड़ों डकारने वाले अधिकारी-कर्मचारी? बाढ़ घोटाला 2008: कब सलाखों के पीछे होंगे करोड़ों डकारने वाले अधिकारी-कर्मचारी? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 17, 2015 Rating: 5

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