क्या नरेंद्र मोदी की मधेपुरा की सभा बदल पाएगी कोसी की हवा?

कोसी में कुल 13 विधानसभा सीटें हैं और बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए और महागठबंधन दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगामी 01 नवम्बर को मधेपुरा में कार्यक्रम तय माना जा रहा है. हालाँकि इसकी आधिकारिक घोषणा आज दिन के 02.30 बजे मधेपुरा भाजपा जिलाध्यक्ष के आवास पर आयोजित होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस में की जानी है. मंडल विश्वविद्यालय के नए परिसर को सभा स्थल चुना गया है और तैयारी को आज के बाद गति दी जा सकती है.
    कई कहते हैं कि बिहार की सत्ता का रास्ता कोसी होकर गुजरती है और कोसी समाजवाद की धरती मानी जाती रही है. बिहार में लालू-नीतीश का शासन दशकों से चला आ रहा है. केंद्र में एनडीए समर्थित भाजपा का शासन है और बिहार विधानसभा चुनाव में सबों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. देखा जाय तो 08 नवम्बर को कई नेताओं के राजनैतिक भविष्य की नाव भी डूबने वाली है. गठबंधन यदि सत्ता बचाने में कामयाब हो जाती है तो मानिए कि आने वाले वर्षों में भी भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियाँ का बिहार में खड़ा हो पाना मुश्किल होगा, क्योंकि इस बार से बेहतर अवसर दशकों में भाजपा+ को शायद ही मिलेगा. केंद्र में सरकार है, तंत्रों का प्रयोग भी अपने हिसाब से करने की कोशिश की जा सकती है. अर्धसैनिक बलों के बूते चुनाव लोगों की इस आशंका को भी करीब-करीब खारिज करेगी कि चुनाव में अधिक गड़बड़ी होगी.
    यदि एनडीए सत्ता में आती है तो लालू-नीतीश युग का फिलहाल अंत माना जाएगा. पर ऐसा उतना आसान भी नहीं होगा. लोकसभा चुनावों के परिणाम पर यदि गौर करें तो पीएम मोदी की सभा सहरसा में होने के बाद भी मोदी का जादू कोसी में नहीं चल पाया. स्थिति अब भी बहुत बदली नहीं है. भाजपा का विरोध करने वाले लोग दाल-प्याज समेत महंगाई को मोदी सरकार की असफलता मान रहे हैं तो काला धन पर अमित शाह के जुमले वाले बयान पर भी कुपित हैं. जबकि भाजपा ‘सुशासन’ के ‘जंगलराज’ की गोद में बैठने का मुद्दा उठाकर वोटरों को अपनी ओर खींचने का प्रयत्न कर रही है. जबकि महागठबंधन के समर्थक वोटर कहते नजर आ रहे हैं कि पहले तो नीतीश अकेले थे, अब तो लालू की ताकत भी उनके साथ है, ‘गठबंधन’ मजबूत हुआ है. 
    कोसी के वोटरों के मूड पर यदि इतिहास से गौर करें तो अधिकाँश वोटर कहते तो हैं कि विकास हमारा मुद्दा है और जो विकास करेगा उसी को वोट देंगे. पर वोट से पहले वे विकास के मुद्दे को भूल जात-पात को भी प्राथमिकता देने लगते हैं और शायद यही कारण है कि लगभग सभी राजनैतिक पार्टियाँ उसी जाति के उम्मीदवार को खड़ा करती है जिसकी बहुलता क्षेत्र में हैं. कुल मिलाकर स्थिति संशय की है और कोई भी यदि किसी की जीत का पक्का दावा करता है यो यकीन मानिए उसे कोसी की राजनीति को अभी और समझने की जरूरत है.
      मोदी की मधेपुरा की ‘रविवार’ की संभावित सभा कोसी के वोटरों के मिजाज पर क्या असर डालती है ये तो 5 नवम्बर को ईवीएम में कैद जनमत ही फैसला करेगी जिसे लोग अगले रविवार यानि मतगणना के दिन 8 नवंबर को जान सकेंगे. छुट्टी के दिन रविवार को किन लोगों की ‘छुट्टी’ होती है देखना दिलचस्प होगा.
(राकेश सिंह के फेसबुक पेज से, ये लेखक के निजी विचार हैं)
क्या नरेंद्र मोदी की मधेपुरा की सभा बदल पाएगी कोसी की हवा? क्या नरेंद्र मोदी की मधेपुरा की सभा बदल पाएगी कोसी की हवा? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 19, 2015 Rating: 5

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