मधेपुरा में डीएनए टेस्ट के पहले मामले में पत्नी पर लगाए आरोप झूठे: बच्चा पत्नी के प्रेमी का नहीं, पति का निकला

बिहार में भले ही ‘डीएनए’ शब्द इनदिनों नेताओं की जुबान पर चढ़ा हो और नरेंद्र मोदी के नीतीश कुमार के खिलाफ डीएनए सम्बन्धी कथित बयान के बाद महागठबंधन समर्थकों ने बाल-नाखून कटा कर ‘डीएनए सेम्पल’ के लिए भेजा हो, पर मधेपुरा में एक और मामले में डीएनए की बात विवादित हुई है. 
         घरों के ‘महागठबंधन’ भी इन दिनों तार-तार हो रहे हैं और पति-पत्नी के संबंधों में दरार इस कदर बढ़ रहा है जिसे पाटना आसान नहीं है. मधेपुरा जिले के घैलाढ थाना के परमानंदपुर ओपी के घोपा गाँव के राजेश रंजन के द्वारा अपनी पत्नी पर लगाये यह आरोप कि उसके बच्चे का असली पिता वह नहीं बल्कि पत्नी का कथित प्रेमी है, डीएनए टेस्ट के बाद साबित नहीं हो सका.
        मामले में माइके सलखुआ, सहरसा में रह रही पत्नी ने पति पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था और पति ने पत्नी के साथ संबंधों के खटास को लेकर न्यायालय में डिवोर्स का मामला दायर किया. डिवोर्स के मामले और प्रताड़ना के आरोप के खिलाफ पति ने न्यायालय के समक्ष पत्नी का उसके कथित प्रेमी से बातचीत का एक ऑडियो रिकॉर्ड प्रस्तुत किया. पर इससे भी आगे पति ने अपने बच्चे का पत्नी के प्रेमी के बच्चा होने का आरोप भी लगाया तो पति के अग्रिम जमानत आवेदन पर सुनवाई के दौरान माननीय उच्च न्यायालय ने ऑडियो रिकॉर्ड की जांच के साथ बच्चे का पितृत्व तय करने के लिए पति के डीएनए टेस्ट का आदेश कर दिया.
        पर फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया कि बच्चा प्रेमी का नहीं, बल्कि पति का ही है. मामले को न्यायालय ने पति द्वारा पत्नी की घोर प्रताड़ना माना और राजेश रंजन की अग्रिम जमानत याचिका खारीज कर दी गई.
         देखा जाय तो जरा-जरा सी बात पर पति या पत्नी एक-दूसरे पर अत्यंत ही गंभीर आरोप लगा देते हैं, जिससे दूसरा पक्ष मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो जाता है और संबंधों में खाई बढ़ जाती है. झगड़े कर घर में और कुछ-न-कुछ हर पति-पत्नी के बीच होते ही हैं, पर यदि उसे समझदारी से दूर कर लिया जाय तब ही खुशहाल जिन्दगी जिया जा सकता है.

क्या है डीएनए टेस्ट?: डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड को संक्षेप में डीएनए कहते हैं. मानव समेत सभी जीव में अनुवांशिक गुण इसी के जरिए आता है. मनुष्य के शरीर की लगभग हर कोशिका में समान डीएनए मौजूद होते हैं. डीएनए टेस्ट (डीएनए फिंगरप्रिंट टेस्ट) में किसी के शरीर की कुछ कोशिकाएं लेकर दूसरे के शरीर की कोशिकाओं से उसका मिलान किया जाता है. इनमें से 99 फीसदी बेस सभी लोगों में समान होते हैं. किसी जीव का रूप क्या होगा यह इन बेस या रसायनों की सीक्वेंस पर निर्भर करता है. ठीक उसी तरह जैसे थोड़े से अक्षर मिलकर लाखों-करोड़ों शब्दों और वाक्यों की रचना करते हैं. डीएनए में उपस्थित सूचनाएं चार रसायनों (बेस) के कोड मैप के रूप में होती हैं- एडेनिन, गुआनिन, साइटोसिन और थायमिन. मानव डीएनए करीब तीन अरब बेस से बना होता है. ज्यादातर डीएनए कोशिका के न्यूक्लियस में उपस्थित होते हैं जिन्हें न्यूक्लियर डीएनए कहा जाता है। कुछ डीएनए माइटोकॉन्ड्रिया में भी होते हैं जिन्हें माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए कहते हैं. इन दिनों नए क़ानून बन जाने के बाद ये ‘बेवफाई’ की जांच करने में मददगार साबित हो रहा है.
(वि.सं.)
मधेपुरा में डीएनए टेस्ट के पहले मामले में पत्नी पर लगाए आरोप झूठे: बच्चा पत्नी के प्रेमी का नहीं, पति का निकला मधेपुरा में डीएनए टेस्ट के पहले मामले में पत्नी पर लगाए आरोप झूठे: बच्चा पत्नी के प्रेमी का नहीं, पति का निकला Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 01, 2015 Rating: 5

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