'खाएगा बच्चा तो जलावन कौन ढोएगा': स्कूल में बालश्रम का मामला

एक तरफ जहाँ उच्च न्यायालय द्वारा बाल श्रम रोकने के लिए कठोर कानून भले ही बना दिए गए हों और भले की बाल मजदूरी को रोकने के लिए कैलाश सत्यार्थी को नोबेल प्राइज मिलने पर हम गर्व कर रहे हों, पर हकीकत यही है कि भारत में बचपन छीनने में लोगों ने कोई कसर बाकी नहीं रखी है.
        एक तरफ सरकार जहाँ शिक्षा अधिनियम के तहत सभी बच्चों को विद्यालय से जोड़ कर उन्हे शिक्षित करने के लिए अरबों रूपये बहा रही है वहीँ स्कूलों में भी बच्चों से बाल श्रम कराया जाना संवेदनहीनता माना जा सकता है.  ऐसा ही एक मामला आलमनगर प्रखण्ड स्थित मध्य विद्यालय बढ़ौना में देखने को मिला है जहाँ मध्यान्ह भोजन के लिए जलावन लाने में बच्चों से काम कराया जा रहा है. यही नहीं, स्कूल के प्रधानाध्यापक ने गत रविवार को जलावन के लिए विद्यालय में मकई का बलरी ट्रैक्टर से गिरवा कर उसे उठाने के लिए  बच्चों को शिक्षा से वंचित कर हाथ में कुदाल एवं टोकरी थमा दिया. बलरी को बच्चों से घर के भीतर रखवाया जा रहा था.
       पूछे जाने पर मौके पर मौजूद मध्य विद्यालय बढ़ौना  के प्रधानाध्यापक विरेन्द्र शर्मा ने कहा कि देख हीं रहे हैं, जब खायेगा बच्चा तो जलावन कौन ढोयेगा? बच्चों से पूछने के दौरान बच्चों को प्रधानाअध्यापक द्वारा हड़काया जाने लगा. इस बाबत आलमनगर बीडीओ मिन्हाज अहमद ने बताया की यह घोर अपराध है, उक्त प्रधानाध्यापक पर कारवाई की जायेगी.  आलमनगर की प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी नीलम कुमारी ने भी कहा कि मामले की जाँच कर उचित कारवाई की जायेगी. (प्रेरणा किरण की रिपोर्ट)
'खाएगा बच्चा तो जलावन कौन ढोएगा': स्कूल में बालश्रम का मामला 'खाएगा बच्चा तो जलावन कौन ढोएगा': स्कूल में बालश्रम का मामला Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 04, 2015 Rating: 5

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