आसाराम की तर्ज पर धर्म के नाम पर यौन शोषण करने वालों की देश में कोई कमी नहीं है. धन्य हैं वो कमजोर दिमाग की माता-बहनें भी, जो बाबाओं के जाल में फंस कर अपना सर्वस्व लुटा बैठती हैं. जुलाई 2014 को मधेपुरा एक बार चर्चा में तब आ गया था जब दिव्य कबीर संस्थान के एक महंथ पर एक नाबालिग लड़की को शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ दो वर्षों तक यौन शोषण करने मामला प्रकाश में आया.
मधेपुरा जिले के आलमनगर थाना में पीड़िता के द्वारा पिछले साल के जुलाई में दर्ज कराये गए मामले (आलमनगर थाना काण्ड संख्यां 103/2014) के मुताबिक बसनबाड़ा पंचायत की बबीता (बदला हुआ नाम), उम्र 16 वर्ष के साथ दिव्य कबीर संस्थान साहेबगंज इटहरी मुरलीगंज मधेपुरा का महंथ सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह लगातार महीना दो महीना पर आलमनगर के बसनबाड़ा कबीर मठ में प्रवचन के बहाने आने लगा और बबीता को अपनी मीठी-मीठी बातों में फंसा कर शादी का प्रलोभन देने लगा और इसी बहाने लगातार शारीरिक सम्बन्ध भी बनाता रहा. महंथ बबीता के घर भी आने लगा और मोबाईल पर भी बहलाता-फुसलाता रहा.
घटना के बाद मधेपुरा टाइम्स को पीडिता ने बताया था कि मामले में नया मोड तब आया जब गर्भवती होने के बाद पीड़िता ने महंथ पर शादी का दवाब देना शुरू किया. इसके बाद महंथ ने मोबाइल से संपर्क भंग कर दिया और घर आनाजाना भी बंद कर दिया. पीड़िता जब महंथ को खोजते दिव्य कबीर संस्थान इटहरी मुरलीगंज पहुंची तो महंथ भाग खड़ा हुआ.
आलमनगर पुलिस की मेहरबानी तो देखिये कि मामला दर्ज कराए जाने के एक साल बाद तक भी महंथ गिरफ्तार नहीं किये गए और महंथ सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह ने मधेपुरा के जिला जज के द्वारा अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज किये जाने के बाद पटना जेल न जाने का ख्वाब लेकर उच्च न्यायालय अग्रिम जमानत के लिए चले गए.
पर एक तो धारा 376 आईपीसी (बलात्कार) ऊपर से अत्यंत गंभीर माने जाने वाले POCSO (Prevention of Children from Sexual Offense) Act 2012 की धारा 4 के अंतर्गत बने मामले की गंभीरता को देखते हुए महंथ का एंटीसिपेटरी (अग्रिम) बेल पटना हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह की बेंच ने इसी बुधवार को रिजेक्ट कर दिया. यानि अब पुलिस यदि और मेहरबान न हो तो महंत के जेल जाने का रास्ता सुगम दीखता है, (वि.सं.)
मधेपुरा जिले के आलमनगर थाना में पीड़िता के द्वारा पिछले साल के जुलाई में दर्ज कराये गए मामले (आलमनगर थाना काण्ड संख्यां 103/2014) के मुताबिक बसनबाड़ा पंचायत की बबीता (बदला हुआ नाम), उम्र 16 वर्ष के साथ दिव्य कबीर संस्थान साहेबगंज इटहरी मुरलीगंज मधेपुरा का महंथ सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह लगातार महीना दो महीना पर आलमनगर के बसनबाड़ा कबीर मठ में प्रवचन के बहाने आने लगा और बबीता को अपनी मीठी-मीठी बातों में फंसा कर शादी का प्रलोभन देने लगा और इसी बहाने लगातार शारीरिक सम्बन्ध भी बनाता रहा. महंथ बबीता के घर भी आने लगा और मोबाईल पर भी बहलाता-फुसलाता रहा.
घटना के बाद मधेपुरा टाइम्स को पीडिता ने बताया था कि मामले में नया मोड तब आया जब गर्भवती होने के बाद पीड़िता ने महंथ पर शादी का दवाब देना शुरू किया. इसके बाद महंथ ने मोबाइल से संपर्क भंग कर दिया और घर आनाजाना भी बंद कर दिया. पीड़िता जब महंथ को खोजते दिव्य कबीर संस्थान इटहरी मुरलीगंज पहुंची तो महंथ भाग खड़ा हुआ.
आलमनगर पुलिस की मेहरबानी तो देखिये कि मामला दर्ज कराए जाने के एक साल बाद तक भी महंथ गिरफ्तार नहीं किये गए और महंथ सुकृत सुमन उर्फ सुबोध साह ने मधेपुरा के जिला जज के द्वारा अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज किये जाने के बाद पटना जेल न जाने का ख्वाब लेकर उच्च न्यायालय अग्रिम जमानत के लिए चले गए.
पर एक तो धारा 376 आईपीसी (बलात्कार) ऊपर से अत्यंत गंभीर माने जाने वाले POCSO (Prevention of Children from Sexual Offense) Act 2012 की धारा 4 के अंतर्गत बने मामले की गंभीरता को देखते हुए महंथ का एंटीसिपेटरी (अग्रिम) बेल पटना हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह की बेंच ने इसी बुधवार को रिजेक्ट कर दिया. यानि अब पुलिस यदि और मेहरबान न हो तो महंत के जेल जाने का रास्ता सुगम दीखता है, (वि.सं.)
बाबा, अब खाओ जेल की हवा:मधेपुरा के महंथ ने किया था नाबालिग का यौन शोषण
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 28, 2015
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