यमराज का गणित आज मधेपुरा में उस समय बिगड़ा दिखा जब
मधेपुरा में एक मुर्दे में जान
आ जाने की बात सामने आई. चिता पर से वापस व्यक्ति
को बचाने के प्रयास अंत में निरर्थक साबित हुए क्योंकि समय में भले यमराज
जी को ‘कन्फ्यूजन’ रहा होगा पर 60 वर्षीय राम
नारायण राय के मौत की तिथि आज ही मुक़र्रर थी. जिस चिता से राम नारायण वापस
गया उसी चिता ने फिर उसकी किस्मत की कहानी का अंत भी लिखा.

ये
अजीबोगरीब वाकया मधेपुरा जिले के मुरलीगंज थाना के पकिलपार गाँव की है. खुशीलाल
राय के पुत्र रामनारायण राय की मौत जब आज 60 वर्ष के उम्र में हुई तो लोगों ने इसे
महज सामान्य घटना मानकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी. चिता तैयार हुई
और गड्ढे खोदकर उसमे लकडियाँ डाली गई. रामनारायण को चिता पर लिटा कर रखा गया पर
शरीर पर लकड़ी डालने के क्रम में किसी की नजर रामनारायण राय की चलती सांस पर पड़ी.
रामनारायण जोर-जोर से साँसे ले रहा था और फिर उसने हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया. लोग
भौंचक्के रह गए और परिजनों ने उसे उठाकर चिकित्सक के पास पहुँचाया. ग्रामीण
चिकित्सक ने उसे जिन्दा पाकर दो बोतल पानी चढ़ाया.
गाँव के
अनिल राय, कुञ्ज बिहारी यादव, बुजुर्ग श्याम नारायण यादव अदि बताते हैं कि पानी
चढ़ने के बाद भी करीब डेढ़ घंटे तक रामनारायण जिन्दा रहा. पर उपरवाले ने रामनारायण
की विदाई की तिथि आज की ही मुकर्रर कर रखी थी. चिता से वापस लौटने के करीब तीन
घंटे के बाद रामनारायण की ईहलीला समाप्त हो गई. जिसके बाद उसी तैयार चिता पर राम
नारायण का अंतिम संस्कार कर दिया गया. हालांकि बाद में गाँव के कुछ बुजुर्गों ने
अपनी गलती मानते हुए यह भी कहा कि चिता से वापस लौटे व्यक्ति का यदि इलाज न हो तो
वो जिन्दा बच सकता था. हैरत भरी इस
घटना की चर्चा पूरे इलाके में है.
चिता पर से उठ खड़ा हुआ मुर्दा: तीन घंटे तक यमराज खाए धोखा फिर ले ली जान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 04, 2015
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