
आगामी 22 मार्च को बिहार दिवस पर आयोजित होने वाले
कार्यक्रमों के मद्देनजर आज मधेपुरा में जिलाधिकारी तथा अन्य वरीय पदाधिकारियों की
एक बैठक स्थानीय कलाकारों और बुद्धिजीवियों के साथ हुई.
जिला
समाहरणालय के सभागार में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी गोपाल मीणा ने सरकार के
निर्देशानुसार मधेपुरा के स्थानीय कलाकारों के समक्ष बिहार दिवस मनाने की बात रखी.
बैठक में हाल में हुए सिंहेश्वर महोत्सव के उदघाटन के दिन स्थानीय कलाकारों के
विरोध का मुद्दा भी उठा तो जिलाधिकारी ने कहा कि एक ही व्यक्ति विरोध करता है और
फिर वही वहां पत्रकारिता भी करता है तो ये नेचुरल जस्टिस के खिलाफ है.
मौके पर
ही कलाकारों और विरोध करने वालों ने अपनी गलती का एहसास किया. बैठक में मौजूद
साहित्यकार डा० भूपेंद्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि चूंकि स्थानीय कलाकारों के
द्वारा विरोध का मुद्दा अखबारों में प्रकाशित होकर आम लोगों तक पहुंचा था इसलिए
उनकी नाराजगी खत्म होने और भूल का एहसास होने की बात भी यदि मीडिया में प्रकाशित
हो तो लोगों में अच्छा सन्देश जाएगा.
बिहार
दिवस में जिला प्रशासन को पूर्ण सहयोग करने का स्थानीय कलाकारों के द्वारा भरोसा
दिया गया. बैठक के दौरान बिहार दिवस पर प्रभात फेरी, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि के लिए अलग-अलग समितियां भी बना दी गईं. और मौके पर जब लोक गायिका रेखा यादव ने पूरे राग में जिलाधिकारी के
सामने गाने की ये दो पंक्तियाँ रखी तो लोगों ने तालियाँ बजाकर स्वागत किया-
‘सारे शिकवे गिले भुला के कहो, जो
भी कहना है मुस्कुरा के कहो.’
सारे शिकवे गिले भुला के बिहार दिवस पर स्थानीय कलाकार होंगे प्रशासन के साथ
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 16, 2015
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