मधेपुरा के जेपी सीमेंट व्यवसायी को रेलवे की
लापरवाही या गलती से जहाँ लाखों का चूना लगता दीख रहा है, वहीँ इस मामले की अग्रिम
जांच कराने में रेलवे प्रशासन की टालमटोल ने इस शंका को और बल दे दिया है कि मामले
में कहीं-न-कहीं रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत है.
पीड़ित
शिव इंटरप्राइजेज के पार्टनर राजेश सिंह ने आज रेलवे को एक लिखित आवेदन देकर मांग
की कि उनका माल गिनती से मधेपुरा रेलवे के माल बाबू, अन्य अधिकारियों तथा आरपीएफ
के अधिकारियों के सामने गिनती
कर उतारा जाय. उन्होंने अनुरोध किया कि रीवा से चले
जेपी सीमेंट के 51156 बैग (कागजात RR No. 862006578 दिनांक 07 जनवरी 2015) की डिलीवरी उन्हें दी जाय. उन्होंने कहा कि
चूंकि मालगाड़ी के दस वैगन का सील टूटा हुआ है, इसलिए कमी की जिम्मेवारी रेलवे
प्रशासन की होगी.

मामला
व्यवसायियों के भरोसे का है. सहरसा के आर.पी.एफ. के इन्स्पेक्टर रूपेश कुमार कहते
हैं कि जांच हो रही है, लेकिन व्यवसायी जांच के तरीके से कहीं संतुष्ट नहीं दिख
रहे हैं. सूत्रों
का मानना है कि रेलवे के गोरखधंधे की जांच यदि सही तरीके से कराई
जाय तो माल बाबू से लेकर कई कर्मचारियों पर गिर सकती है गाज. पर यहाँ सबसे बड़ा
सवाल है कि मधेपुरा के व्यवसायियों का कैसे अब रेलवे पर भरोसा वापस हो सकेगा, जबकि
सूत्र यह भी बताते हैं कि रैक प्वाइंट पर कई कर्मचारी व्यवसायियों से गुप्त रूप से
पैसे भी लेते रहे हैं.

ट्रेन से जेपी सीमेंट गायब होने का मामला: रैक प्वाइंट बोले तो गोरखधंधे का प्वाइंट!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 12, 2015
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