मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड के चिरौरी पंचायत में
आज सुबह एक नवजात बालक के झाड़ी में मिलने के बाद लोगों में चर्चाओं का दौर शुरू हो
गया कि इस बच्चे को यहाँ किसने फेंका.
नवजात
बालक उस समय लोगों की नजर में आया जब कुछ गरीब महिलायें चिरौरी गांव में बासुदेव
शर्मा के खेत में घास काटने गई थीं. अचानक झाड़ी में से बच्चे के रोने की आवाज आई
तो महिलायें पास गई. वहां एक स्वस्थ शिशु को देखकर वे हैरत में पड़ गई. महिलाओं ने
शोर मचा कर लोगों को बुलाया. चर्चा होने लगी कि ये किसका बच्चा होगा. नवजात को
देखने से लग रहा था कि बीती रात ही इस बालक ने पृथ्वी पर आँखें खोली होगी. नवजात
चूंकि कन्या नहीं थी, इसलिए लोगों ने इस आशंका को खारिज कर दिया कि किसी गरीब और
अनपढ़ महिला को पहले से लगातार बेटी हो रही होगी इसलिए इस बच्चे को फेंक दिया होगा,
जैसा अभी भी कहीं-कहीं देखने को मिलता है.
अब
लोगों का अनुमान यहाँ आकर विराम ले चुका था कि ये बच्चा नाजायज सम्बन्ध का परिणाम
होगा, यानि ये बच्चा नाजायज है.
यहाँ
मधेपुरा टाइम्स एक सवाल उठाना चाहती है कि ऐसे बच्चे को नाजायज कहना कहाँ तक जायज
है. इसमें बच्चे की क्या गलती है? गलती तो उस पुरुष और स्त्री की है जिसने
नियंत्रण खोकर अनचाहे शिशु को गर्भ में पलने दिया. उसने एक बार भी नहीं सोचा कि जब
उसमें इतनी हिम्मत नहीं है कि इस बच्चे को जन्म के बाद नहीं रख सकेगा, तो फिर उसे ऐसा
कोई कदम नहीं उठाना था. ऐसी परिस्थिति में ये बच्चा नाजायज नहीं, इसके कथित कायर
और घटिया माँ-बाप नाजायज हैं जिसने इस कड़ाके की ठंढ और बीती रात की बारिश में इसे
झाड़ी में फेंक कर मरने छोड़ दिया.
खैर,
कहते हैं कि जाको राखे साइयां, मार सके न कोई या फिर जिसका कोई नहीं उसका भी खुदा
है यारों. गाँव के ही प्रकाश साह ने बच्चे को अपना लिया और पिता का प्यार देने
की ख्वाहिस जताई.
स्वस्थ नवजात बालक मिला झाड़ी में: बच्चे को नहीं, इसके माँ-बाप को नाजायज बोलिए
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 04, 2015
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