मधेपुरा में चार बीडीओ और दो सीओ को आर्थिक दंड, दोनों एसडीओ को वार्निंग: मामला आरटीपीएस में लापरवाही का

जिले के
कुमारखंड, मुरलीगंज, आलमनगर और चौसा प्रखंड के बीडीओ एवं मुरलीगंज तथा आलमनगर सीओ
को लोकसेवा अधिकार के अंतर्गत आने वाली सेवाओं को निर्धारित समय के भीतर लोगों को
उपलब्ध न कराने का दोषी पाया गया है. जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी राकेश
कुमार ने बताया कि कुमारखंड प्रखंड में 36, मुरलीगंज में 80, आलमनगर में 25 तथा
चौसा प्रखंड में लोगों के द्वारा आरटीपीएस के तहत कुल 28 ऐसे आवेदन लंबित थे जिनका
निष्पादन निर्धारित समय सीमा के अंदर नहीं किया गया था.
जानकारी
दी गई कि आरटीपीएस के तहत आवेदनों के निर्धारित समय सीमा में निष्पादन के मामले
में मधेपुरा जिला जहाँ 19वें पायदान पर था वहीँ जिला आवेदनों के निष्पादन में धीमी
गति का शिकार होकर हाल में नीचे खिसककर 34वें पायदान पर चला गया. प्रखंडों में
प्रखंड विकास पदाधिकारियों तथा अंचलाधिकारियों के द्वारा कई आवेदनों के निस्तारण
में कोताही बरती गई थी.
मधेपुरा
के डीएम गोपाल मीणा ने मामले पर संज्ञान लेते हुए जब मधेपुरा जिले के तेरहों
प्रखंड से सम्बंधित आंकड़े मंगाए तो पता चला कि उक्त चार प्रखंडों में सबसे अधिक
मामले लंबित थे. सभी छ: अधिकारियों को 500-500 रूपये आर्थिक दंड लगाये गए हैं.
हम
मधेपुरा टाइम्स के पाठकों को बता दें कि वर्ष 2011 में 15 अगस्त को जब दस विभागों
से जुड़े 50 सेवाओं से सम्बंधित बिहार में लोक सेवा अधिकार के अधिनियम को लागू किया
गया था तो तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि ‘यह ऐसा अधिनियम है, जो राज्य के उन तमाम लोगों को सरकारी
दफ़्तरों या बाबुओं के चक्कर लगाने और चढ़ावा देने से राहत दिलाएगा,
जिन्हें समय पर विभिन्न लोक
सेवाएं हासिल करने का हक़ है. इसलिए अब उनके इस अधिकार को और क़ानूनी मज़बूती
देने और लापरवाह लालची सरकारी कर्मियों पर सख़्ती बरतने के ठोस उपाय किए जा
रहे हैं.’
मधेपुरा में चार बीडीओ और दो सीओ को आर्थिक दंड, दोनों एसडीओ को वार्निंग: मामला आरटीपीएस में लापरवाही का
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 29, 2014
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