मधेपुरा में अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता (भाग-1): टॉप टेन में से चार समेत पांच दर्जन से अधिक अपराधी इस वर्ष पहुँच गए सलाखों के पीछे

मधेपुरा में अपराध की प्रकृति पर यदि गौर करें तो बहुत से अपराध ऐसे भी हैं जिन्हें रोकना पुलिस के लिए काफी मुश्किल भरा काम है. हाँ, अपराध घटित होने के बाद पुलिस अपराधी को गिरफ्तार करते हुए मामले का खुलासा जरूर कर सकती है. जमीन-जायदाद या वर्चस्व की लड़ाई में हत्याओं का पूरे बिहार में इतिहास कितना पुराना है, कोई नहीं जानता पर मधेपुरा में अपराध का ग्राफ कम या अधिक जो भी हो, लेकिन कुख्यात अपराधकर्मियों को उनकी वाजिब जगह यानि सलाखों के पीछे पहुंचाने में मधेपुरा पुलिस किसी से पीछे नहीं रही है.
      पिछले वर्षों को छोड़ दें और सिर्फ इस साल की बात करें तो मधेपुरा पुलिस के शिकंजे में जनवरी से सितम्बर तक ही 63 अपराधकर्मी आ चुके हैं जिनमें से कई दर्जन कुख्यात की श्रेणी में रखे जा सकते हैं.
      अपराध नियंत्रण में मधेपुरा पुलिस की कार्यशैली कुछ अलग हट के है. इस वर्ष जिले के वांछित अपराधियों की सूची में दस ऐसे नाम रखे गए थे जो आम लोगों सहित पुलिस के लिए भी सिरदर्द बने हुए थे. मधेपुरा पुलिस के लिए इनकी गिरफ्तारी अत्यंत ही आवश्यक थी. मधेपुरा के पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार सिंह के नेतृत्व में बनाई रणनीति के तहत इन टॉप टेन कुख्यातों पर नकेल कसने के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें तैयार की गई. अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी और कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सूत्रों की रही और एक-एक कर टॉप टेन के चार कुख्यात अपराधी को मधेपुरा पुलिस ने जिन्दा गिरफ्तार करने में सफलता पा ली. जाहिर था ये सिर्फ अपराधी ही नहीं, बल्कि हत्या, लूट, हत्या के प्रयास और रंगदारी जैसे वारदातों को अंजाम देने वाले गिरोह के सरगना भी थे और इनकी गिरफ्तारी से इनके गिरोह के बाकी सदस्यों का मनोबल टूटा और इनके इलाके में अपराध में उल्लेखनीय कमी स्पष्ट दिखने लगी. (क्रमश:)
(अगले भाग में: कौन थे ये टॉप टेन के चार कुख्यात अपराधी जिन्हें मधेपुरा पुलिस ने पहुँचाया सलाखों के पीछे ?)
मधेपुरा में अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता (भाग-1): टॉप टेन में से चार समेत पांच दर्जन से अधिक अपराधी इस वर्ष पहुँच गए सलाखों के पीछे मधेपुरा में अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता (भाग-1): टॉप टेन में से चार समेत पांच दर्जन से अधिक अपराधी इस वर्ष पहुँच गए सलाखों के पीछे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 26, 2014 Rating: 5

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