ये वास्तव में एक शर्मनाक स्थिति है और क़ानून का
मजाक बनाने जैसा है. मधेपुरा जिले के कुमारखंड थाना की फूल कुमारी वर्ष 2013 में जब
अपने प्रेमी के लिए घर से भागी थी तो पिता ने उसके प्रेमी पर अपहरण का मामला दर्ज
करा दिया था. लड़की वापस आई और स्वेच्छा से जाने की बात न्यायालय को बताया. साथ ही
वह अपने माता-पिता के घर जाने को तैयार नहीं हुई तो कोर्ट ने उसे नारी निकेतन
(रिमांड होम), गायघाट, पटना रहने भेज दिया. 29 मार्च 2013 को मेडिकल बोर्ड ने फूल
कुमारी की उम्र 17-18 वर्ष निर्धारित की थी. जाहिर है फूल कुमारी अब बालिग़ हो चुकी
है और भारतीय कानून के अनुसार वह अपने जिंदगी के सारे फैसले लेने के लिए स्वतंत्र
है. फूल कुमारी को रिमांड होम में रखना गैरकानूनी है.
बिहार
में ये कहानी सिर्फ फूल कुमारी की ही नहीं है. पटना के गाय घात स्थित रिमांड होम
में बिहार की 39 ऐसी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद हो रही है जो भले ही नाबालिग अवस्था
में रिमांड होम भेजी गई थी, पर मेडिकल बोर्ड के द्वारा पूर्व में किये गए उम्र
निर्धारण के आधार पर अब वे बालिग़ हो चुकी हैं.
इस सभी
39 बालिग़ लड़कियों को रिमांड होम में रखना भारत के संविधान की धारा 21 का उल्लंघन
है जिसके तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को प्राण तथा दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार
मिला हुआ है.
पटना
हाई कोर्ट में दायर किये गए एक वाद में जब हाई कोर्ट ने नारी निकेतन के अधीक्षक से
ऐसी लड़कियों की सूची मांगी जो अब बालिग़ होने के बावजूद नारी निकेतन में है, तो
नारी निकेतन के द्वारा पूरे बिहार की 39 लड़कियों की सूची पटना हाई कोर्ट को सौंपी.
क्रिमिनल मिसलेनियस संख्यां 312/2014 में जस्टिस अंजना प्रकाश ने इसे
दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए संविधान की धारा 21 का उल्लंघन माना है.
पटना
हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में इन लड़कियों को
सम्बंधित न्यायालयों में बयान दर्ज करवा कर आगे की कार्यवाही करने का
निर्देश दिया है ताकि ये रिमांड होम से बाहर निकल कर खुली हवा में अपनी इच्छा से
सांस ले सके.
'मधेपुरा की फूल कुमारी सहित 39 लड़कियों से छीनी जा रही है उनकी दैहिक स्वतंत्रता’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 27, 2014
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