मधेपुरा में आज ‘हिन्दी-मैथिली साहित्य और नागार्जुन’ विषय पर आयोजित सेमिनार कई
मायनों में खास रहा. मधेपुरा महाविद्यालय मधेपुरा में आयोजित इस एक दिवसीय सेमिनार
में भारत और नेपाल के विद्वान वक्ताओं ने जनकवि नागार्जुन के विभिन्न आयामों पर
विस्तृत चर्चा की और उन्हें सामजिक चेतना, संवेदना, युगधर्मिता, आत्मिक संस्कृति
और यथार्थ का सजग प्रहरी बताया.

‘हिन्दी-मैथिली साहित्य और
नागार्जुन’ विषय
पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का उदघाटन बी० एन० मंडल विश्वविद्यालय के प्रति
कुलपति डा० जे० पी० एन० झा, डा० के० एन० ठाकुर, डा० जगदीश नारायण, डा० भीमनाथ झा,
डा० रामभरोस सिंह कापड भ्रमर, डा० एच० के० मंडल, डा० पूनम यादव एवं डा० अशोक कुमार
ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
उदघाटन
सत्र में मुख्य रूप से भागलपुर से आये डा० शिवपूजन सिंह, नेपाल से आये डा० रामभरोस
कापड भ्रमर, दरभंगा के डा० भीमनाथ झा, नेपाल के राजाराम सिंह राठौर एवं जगदेश
नारायण ने विस्तार से नागार्जुन और यात्री में अंतर्निहित विशिष्ट चेतना का उल्लेख
उनके काव्यात्मक चमत्कार आदि पर आधारित उद्धरणों का उल्लेख विस्तृत रूप से किया.
कार्यक्रम
में उदघाटन या प्रथम सत्र की अध्यक्षता डा० अशोक कुमार, द्वितीय सत्र में काव्य
पक्ष पर विमर्श की अध्यक्षता डा० अमोल राय और गद्य पक्षपर विमर्श की अध्यक्षता
प्रो० इन्द्रनारायण यादव, तृतीय सत्र काव्य संध्या की अध्यक्षता डा० विनय कुमार
चौधरी ने की जबकि चतुर्थ सत्र की अध्यक्षता मधेपुरा महाविद्यालय के प्राचार्य डा० अशोक
कुमार के द्वारा किया गया.
कार्यक्रम
में वक्ताओं ने नागार्जुन को अपनी लेखनी के माध्यम से सम्पूर्ण दलित,
उत्पीड़ित,प्रताड़ित, उपेक्षित, सर्वहारा, शोषित वर्गों की आवाज बनकर जनक्रांति लाने
वाला बताया.
सेमिनार
में डा० शिवनारायण यादव, प्रो० श्यामल किशोर यादव, भूपेंद्र मधेपुरी, डा० रेनू
सिंह, डा० जवाहर पासवान, डा० सिद्धेश्वर कश्यप, जूली ज्योति, डा० विनय कुमार चौधरी,
संजय परमार, मनोज झा, मो० मुश्ताक, डा० गीता रस्तोगी, आरती झा समेत सैंकड़ों
गणमान्य व्यक्ति तथा शोधार्थी उपस्थित थे.
‘हिन्दी-मैथिली साहित्य और नागार्जुन’ पर मधेपुरा में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 31, 2014
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