“सपने में भी सच न बोलना,
वर्ना पकड़े जाओगे,
भैया, लखनऊ-दिल्ली पहुंचो,
भैया, लखनऊ-दिल्ली पहुंचो,
मेवा-मिसरी पाओगे!
माल मिलेगा रेत सको यदि
माल मिलेगा रेत सको यदि
गला
मजूर-किसानों का,
हम मर-भुक्खों से क्या होगा,
हम मर-भुक्खों से क्या होगा,
चरण गहो श्रीमानों का!”
कवि
नागार्जुन की ये पंक्तियाँ इतना दर्शाने के लिए काफी है कि महान कवि नागार्जुन
व्यवस्था परिवर्तन के लिए कलम को हथियार बनाकर एक लड़ाई लड़ी थी. कवि नागार्जुन पर
मधेपुरा में सेमिनार कराने का निर्णय वाकई एक सराहनीय कदम है.
आगामी 31 अगस्त को मधेपुरा एक
राष्ट्रीय स्तर का भव्य साहित्यिक सेमिनार का साक्षी बनने जा रहा है. ‘हिन्दी मैथिली साहित्य और
नागार्जुन’ पर
मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा में आयोजित कराया जा रहा है. इस राष्ट्रीय सेमिनार में
दरभंगा के डा० भीमनाथ झा, बोधगया के डा० बासुकीनाथ झा, रांची के डा० खगेन्द्र ठाकुर,
पटना के डा० बलराम तिवारी, पश्चिम बंगाल के डा० अरूण होता एवं पटना के डा० रामधारी
सिंह दिवाकर को रिसोर्स पर्सन के रूप में बुलाने का निर्णय लिया गया है.
सेमिनार के सञ्चालन के लिए
मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के प्राचार्य डा० अशोक कुमार को संयोजक, कुल्परी डा० विनोद
कुमार, प्रतिकुलपति डा० जे० पी० एन० झा एवं डा० जगदीश नारायण प्रसाद को संरक्षक
बनाया गया है. इसके अलावे प्रो० इंद्र नारायण यादव, डा० अमोल राय, प्राचार्य डा०
के० पी० यादव, डा० विनय कुमार चौधरी, डा० सिद्धेश्वर कश्यप, डा० अभय कुमार, डा०
मणिभूषण वर्मा, पत्रकार संजय परमार की भी भूमिका सेमेनार के सफल सञ्चालन में अहम
होगी.
सराहनीय कदम: हिन्दी-मैथिली साहित्य और नागार्जुन पर सेमिनार 31 को
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 06, 2014
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August 06, 2014
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