|वि० सं०|05 अगस्त 2014|
ये भीड़ सड़कों पर है, ये भीड़ आपके घरों के इर्दगिर्द
है. ये भीड़ कचहरी के कम्पाउंड में हैं. यकीन मानिए इस भीड़ का चाल, चरित्र और चेहरा
बड़ा ही शर्मनाक है. इस भीड़ के चेहरे को पहचानिये. सड़कों पर दुर्घटना का शिकार कोई
व्यक्ति जब मदद की गुहार लगा रहा होता है तो ये भीड़ वहाँ से खिसक लेती है. पर जब
किसी की इज्जत लुटती है तो ये भीड़ वहाँ जमा हो जाती है. इज्जत इस भीड़ के सामने
नीलाम होती रहती है, पर ये भीड़ उस तमाशे को जिस नजर से देखती है उस मनोभाव को जब
आप समझेंगे तो आपका सर शर्म से झुक जाएगा, यदि आप इस चरित्रहीन भीड़ का चेहरा नहीं
हैं तो...
मधेपुरा
कोर्ट में जब भी किसी प्रेमी-प्रेमिकाओं के जोड़े को लाया जाता है उस समय अचानक
सैंकडों लोग जमा नजर आने लगते हैं. आखिर कौन हैं ये लोग? अपने काम-धंधों को छोड़कर
ये क्यों इन्हें देखने को बेताब हैं ? क्या मिलता है इन्हें यदि किसी ने अपनी
जिंदगी खुद जीना चाहा. कुछ बातें बता रहा हूँ भीड़ के चेहरे क्या बात करते हैं आपस
में. यकीन न हो तो सिर्फ एक बार सुनने के लिए आप इस भीड़ का हिस्सा बनें.
‘के कहे रहै लड़की नाबालिग छै’, ये कहते समय भीड़ की ऑंखें ...आप खुद समझ सकते हैं., चाहे वो बेटी की उम्र की ही क्यों न हो. ‘आंय यो, इस दस दिनाँ ते साथे रहल
होते’
इस समय भीड़ के दिमाग में कुछ और चल रहा होता है, जिसकी चर्चा हम नहीं कर सकते है. ऐसा नहीं है कि ये भीड़ एक बार प्रेमी जोड़े को देखकर खिसक लेती है. ये भीड़ जिधर-जिधर लड़की जाती है, निर्लज्जतापूर्वक उसके पीछे-पीछे चलती है. क्या लड़की इनकी बहन लगती है जो इन्हें इसकी काफी चिंता है? नहीं, किसी की लुटती इज्जत है इनके लिए मनोरंजन.
इस समय भीड़ के दिमाग में कुछ और चल रहा होता है, जिसकी चर्चा हम नहीं कर सकते है. ऐसा नहीं है कि ये भीड़ एक बार प्रेमी जोड़े को देखकर खिसक लेती है. ये भीड़ जिधर-जिधर लड़की जाती है, निर्लज्जतापूर्वक उसके पीछे-पीछे चलती है. क्या लड़की इनकी बहन लगती है जो इन्हें इसकी काफी चिंता है? नहीं, किसी की लुटती इज्जत है इनके लिए मनोरंजन.
यकीं
मानिए, इस भीड़ में कई चेहरे ऐसे होते हैं, जिनकी करतूत से समाज को शर्मशार होना
पड़ता है, पर ये खुद की प्रगति को चूल्हे में झोंक कर ऐसी घटनाओं के हर पहलू को
जानने के लिए बेताब रहेंगे.
ताजा
मामले में यह जानते हुए कि मामला प्रेम-प्रसंग से जुडा हुआ था, ये भीड़ अपने को
समाज और धर्म का ठेकेदार बनकर सामने आई, जबकि मामला दो परिवारों और पुलिस का था.
यदि मोहल्ले में कोई बीमार पड़ता है या फिर किसी के साथ कोई बड़ी समस्या आती है तो
मदद के लिए दो-चार हाथ ही बढते हैं, पर ऐसे मामले में सैंकड़ों लोगों ने अपनी
सक्रियता दिखाई.
ऐसा
नहीं है कि दो धर्मों के बीच का ऐसा मामला पहली बार मधेपुरा में देखने को मिला.
वर्ष 2012 में जिला मुख्यालय के भिरखी की एक घटना इसी तरह की दो धर्मों के लड़के और
लड़की के बीच हुई थी और लड़की की माँ ‘समाज’ के सामने मुकदमा कराने की गुहार लगाती रही. पर अफ़सोस उस
हिन्दू लड़की के परिजन न तो पैसे वाले थे, जो आगंतुकों का स्वागत चाय-नाश्ता से कर
पाते और न ही उस समय में कोई चुनाव सामने था कि कोई राजनीतिक दल भी उस मुद्दे को
लेकर सामने आता. यकीन न हो तो मधेपुरा के वर्तमान थानाध्यक्ष से पूछ लीजिए, घटना
के कई दिनों के बाद मधेपुरा टाइम्स की पहल पर मुकदमा दर्ज हुआ और बरामदगी कर लड़की
को उसके घर पहुँचाया गया. ये भीड़ वहां नहीं थी.
सबकुछ
जानते वर्तमान घटना को अपहरण करार देकर चिल्ल-पों करने वाले भले ही घर में दुबक गए
हों, पर पूरी घटना कई सन्देश भी दे जाती है. बसपा नेता गुलजार कुमार उर्फ बंटी यादव
जहाँ ऐसी घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं कि जात-पात और धर्मों के
ठेकेदारों से अनुरोध है कि बेवजह ऐसे मामले को तूल देकर अपना राजनीतिक लाभ उठाने
का काम न करें.
वहीँ इस
घटना में शामिल छात्रा का भी कहना था कि जब कोई मर रहा होता है तो वहां कोई पूछने
नहीं जाता है और यहाँ जिन लोगों से मेरा कोई लेना देना नहीं था, जो किसी तरह मेरे
सम्बन्धी नहीं थे, वो क्यों मेरे पीछे मर रहे थे? जाहिर सी बात है छात्रा ने जो
सही-गलत किया वो अपनी जगह है, पर उसका यह सवाल मामले में जबरन टांग घुसाए लोगों और
कचहरी की भीड़ के मुंह पर एक ऐसे तमाचे के समान है जो सन्नाटा पैदा कर देता हो. आप
भी सुनिए छात्रा को इस वीडियो में, यहाँ क्लिक करें.
इस भीड़ की न कोई जात है न धर्म..किसी की लुटती इज्जत इनके लिए है मनोरंजन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 05, 2014
Rating:
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August 05, 2014
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कोई अपनी मर्जी से गई सर और मस्ती कर के आई तो इसमे इज्जत जाने की क्या बात है
ReplyDeleteसर,
ऐसे कांड होते रहेंगे तो भीड़ लगना स्वाभविक है, यही तो समाज को ले के डूब गया है