बिहार सरकार पूरी तरह
कंफ्यूज्ड दिख रही है. दाल में काला भी है. आज फिर 36 आईपीएस अफसरों के तबादले हुए. तबादले की सूची देख पुख्ता हो गया कि अभयानंद को ठीक
तरीके से काम नहीं करने दिया जा रहा था. जिन अधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन को लेकर उनका विरोध था, आज हो गया. यह इंगित करने को काफी है कि सरकार का शासन-प्रशासन के साथ तालमेल
खत्म है. बिहार के लिए ऐसी स्थिति
दुखद है. आज की तबादले सूची में ऐसे कई नाम हैं, जिनका स्थानांतरण पिछले दिनों ही किया गया था. कुछ प्रभार संभाल
चुके थे/कुछ को संभालना था. लेकिन आज फिर
उलट-फेर हो गया. सहरसा में
पदस्थापित किये गये एसपी को हफ्ते भर में बदला गया. अब पंकज सिन्हा नये
एसपी बनाये गये हैं. मधेपुरा से
पहले आनंद कुमार सिंह को हटाया गया. आज फिर से मधेपुरा में ही रहने को कह दिया गया. सूची में ऐसे कई नाम हैं. आखिर क्यों ? साफ है कि सौदेबाजी हो रही है. सौदेबाजी राजनीतिक भी
है. लालू प्रसाद से मिलन के बाद नीतीश कुमार को
प्रत्येक आदेश का पालन करना होता है. बिहार का ऐसे में क्या होगा, कहना कुछ भी मुश्किल हो
रहा है. नये डीजीपी पी. के. ठाकुर जी से
बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन राह के रोड़ों को जान चिंता होती है.
(पूर्व विधायक किशोर
कुमार मुन्ना के फेसबुक वाल से)
36 आईपीएस अधिकारियों का फिर तबादला: सौदेबाजी का अंदेशा !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 30, 2014
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