दारोगा का आतंक: सनक में इलेक्शन ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मियों सहित दो दर्जन ग्रामीणों को घसीटा मुकदमा में, दहशत में ग्रामीण
|वि० सं०|26 अप्रैल 2014|
क़ानून को अपने पॉकेट की संपत्ति समझकर मधेपुरा के एक
दारोगा ने हवा में रिवॉल्वर घुमाते हुए गाँव के कुछ लोगों को केश में फंसाने की
धमकी दे डाली और फिर ..ये डायलॉग कि...‘जो मैं बोलता हूँ, वो मैं करता हूँ और जो मैं नहीं बोलता, वो
डेफिनेटली करता हूँ’ पर अमल करते हुए दो दर्जन लोगों पर ऐसा मुकदमा ठोका कि
पूरा गाँव ही दहशत में आ गया. यही नहीं, फर्जी मुकदमा का दंश झेल रहे ग्रामीणों
में कुछ सरकारी कर्मचारी भी हैं जो दरोगा जी के गाँव में जाने के समय इलेक्शन का
प्रशिक्षण पाकर गाँव पहुंचे भी नहीं थे.
घटना के
बारे में बताया जाता है कि मधेपुरा थाना के भर्राही ओपी के अंतर्गत पड़ने वाले
सकरपुरा गाँव की है. गत 21 अप्रैल की शाम में राजद प्रत्याशी पप्पू यादव के गाँव
आने की प्रत्याशा में गाँव के लोग जमा थे कि अचानक भर्राही ओपीध्यक्ष एकरार अहमद
खान वहां किसी वारंटी को खोजते पहुंचे और ग्रामीणों के घर-आँगन में दलबल के साथ
घुसकर तलाशी करने लगे. गाँव वालों के द्वारा दारोगा जी के तरीके पर आपत्ति जताने
भर की देर थी कि तैश में दरोगा ने आपत्ति जताने वालों को केश में फंसकर बर्बाद कर
देने की धमकी दी और वापस लौट गए.
और
दारोगा जी ने जो कहा वो तो किया ही, जो नहीं कहा वे उन्होंने डेफिनेटली किया और
कुल 23 लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने और अपराधी को उनके कब्जे से छीन लेने
का फर्जी मुकदमा ठोंक दिया. चुन-चुन कर दिए गए नामों के कुछ तो सरकारी कर्मी बताये
जाते हैं, कुछ 70 से 85 साल के वृद्ध हैं और कुछ गाँव से बाहर रहकर पढाई करते हैं.
दहशत में कई भले लोग जिनका नाम मुक़दमे में हैं, गाँव से बाहर रात बिताने को मजबूर
हैं.
बता दें
कि वर्तमान समय में मधेपुरा कमजोर पुलिसिंग के दौर से गुजरता हुआ दिख रहा है जहाँ
पीडितों की सुनने वाले पुलिस अधिकारी तो मौजूद हैं, पर एक कान से सुनने के साथ ही
वे जनता की बात दूसरे कान से निकाल दे रहे हैं. वैसे भी वर्तमान भर्राही ओपीध्यक्ष
की कार्यशैली पूर्व में भी विवादस्पद रही है.
दारोगा का आतंक: सनक में इलेक्शन ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मियों सहित दो दर्जन ग्रामीणों को घसीटा मुकदमा में, दहशत में ग्रामीण
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 26, 2014
Rating:
No comments: