|वि० सं०|24 नवंबर 2013|
गत एक नवंबर को याद कीजिए जब मुरलीगंज में रेलवे के
बड़े-बड़े पदाधिकारी आये और मुरलीगंज से मधेपुरा के रेल परिचालन की घोषणा कुछ नए
अंदाज में कर गए. नारियल वगैरह भी अधिकारियों ने फोड़ा था, लगा अब देर नहीं है.
लोगों ने सारे अधिकारियों को फूल-माला पहनाया और अधिकारियों ने अगले 17 दिनों में
ट्रेन परिचालन का विश्वास भी दिलाया. हालाँकि मधेपुरा टाइम्स ने उस समय भी शक ही
जाहिर किया था कि कहीं ये 17 दिनों में ट्रेन दौड़ने वाली बात मुंगेरीलाल के हसीन
सपने न बनकर रह जाएँ. (पढ़ें: फिर
मुरलीगंज में मुंगेरीलाल के सपने दिखा गए रेल अधिकारी ?)
आज की
तारीख याद कीजिए. 24 नवंबर बीत गए और अबतक मुरलीगंज के लोग मुंह ही ताक रहे हैं.
जब सारा काम पूरा है और टेस्टिंग-वेस्टिंग भी हो चुकी है तो फिर कहाँ फंस गया
पेंच. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन्हें बहुत से लोग इस देरी का कहीं न
कहीं जिम्मेवार मानते हैं, अब भी जो कुछ देरी हो रही है उसके पीछे भी वही हैं.
सूत्र का मानना है कि श्रीमान अब उदघाटन करेंगे और हरी झंडी दिखाएँगे जिसकी वजह से
उनके इंतजार में अभी थोड़ा और वक्त लोगों को झेलना पड़ेगा. चुनाव का समय है.
भाषण-वाषण भी हो जाय और खुद पर श्रेय भी ले लिया जाय भले ही 2008 की त्रासदी के
मारे लोगों को ट्रेन सुविधा दिलाने में पांच साल से अधिक का समय लगा दिया हो.
कहाँ फंस गया फिर मुरलीगंज से रेल परिचालन ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 24, 2013
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