कहते हैं सरकारी योजनाएं ग़रीबों के उत्थान के लिए
नहीं, बल्कि सफेदपोशों का ग्रास बनने के लिए ही बनाई जाती है. और ये बातें मधेपुरा
के कई आंगनबाड़ी केन्द्रों पर तो लागू होती ही है. खासकर वैसे आंगनबाड़ी केन्द्र
जहाँ पहुँचने का रास्ता थोड़ा कठिन है.
आइये
हमारे साथ देखिये मधेपुरा जिला के एक आंगनबाड़ी केन्द्र का हाल. बाल विकास परियोजना
सिंघेश्वर के अंतर्गत बैहरी पंचायत के मुसहरी पंचायत डंडारी का केन्द्र संख्यां
15. सेविका हैं इंदू देवी और सहायिका ललीता देवी. आज की बात बताते हैं. इस केन्द्र
पर मधेपुरा टाइम्स संवाददाता जब दिन के 11.45 बजे पहुंचा तो केन्द्र बंद था और
बरामदे पर चार बच्चे बैठे थे. मीडिया के पहुँचने की खबर मिली तो सहायिका केन्द्र
पर बिना ड्रेस के ही पहुंची. किसी भी प्रश्न का कोई संतोषप्रद जवाब नहीं.
इस
केन्द्र की हालत से बहुत कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है. कई ग्रामीणों ने बताया कि
ये केन्द्र लगभग कागज़ पर चल रहा है. कभी-कभी सेविका या सहायिका के दर्शन इस
केन्द्र पर सुलभ हो जाते हैं. लोगों का कहना था कि इस केन्द्र पर पदाधिकारी नहीं
आते हैं. सेविका ही जाकर लेडी सुपरवाइजर और सीडीपीओ से रजिस्टरों पर रिपोर्ट लिखवा
लेती हैं. मतलब समझ गए न ? जी हाँ, जब मैडम को ‘खुश’ कर ही दिया जाता है तो जांच किस बात की. जारी है मधेपुरा
के आंगनबाड़ी में लूट का खेल.
हाल-ऐ-आंगनबाड़ी: केन्द्र पर 40 की बजाय 4 बच्चे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 21, 2013
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