दोनों हाथ से विकलांग इस शिक्षक ने ये कभी नहीं सोचा
था कि विकलांग कोटे से नौकरी मिल जाने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी और उनके
नुमायंदे उनके साथ ऐसा खेल खेलेंगे कि उसकी जिंदगी पर बन आयेगी.
मधेपुरा
आदर्शनगर वार्ड नं.8 के प्रकाश कुमार को जब नियोजन पर सामान्य प्रखंड शिक्षक के
लिए नियोजन पत्र मिला तो प्रकाश समेत पूरे परिवार के खुशी का ठिकाना नहीं रहा. प्रखंड
विकास पदाधिकारी पुरैनी ने अपने पत्रांक 136 दिनांक 09.07.2013 से प्रकाश को
पुरैनी के मध्य विद्यालय कुरसंडी योगदान करने को कहा. 22 जुलाई को प्रकाश ने स्कूल
में प्रधानाध्यापक अनिल कुमार की अनुमति से अपना योगदान भी किया और निष्ठापूर्वक
अपने कर्तव्य का निर्वहन भी करने लगे.
पर गत
30 अगस्त को प्रकाश के एक अच्छा शिक्षक बनने के सपने को पुरैनी बीडीओ और उनके
कार्यालय के सुधीर कुमार सिंह ने चूर-चूर कर दिया. प्रकाश बताते हैं कि सुधीर कुमार
सिंह ने उन्हें प्रमाणपत्र देखने के बहाने बुलाया और उसका मूल नियोजन पत्र रख
लिया. उसके बाद सुधीर सिंह ने प्रकाश से कहा कि तुम्हारा नियोजन गलत रूप से हो गया
है, इसे रद्द किया जाता है. प्रकाश बताते हैं कि सुनकर उसे लगा जैसे पाँव तले से
जमीन खिसक गई हो. बीडीओ साहब से मिलने पर भी वही जवाब मिला. स्कूल जाने पर
प्रधानाध्यापक ने भी उसे कहा कि बीडीओ साहब का फोन आया है, तुम्हारा नियोजन रद्द
हो गया है. और तब से प्रकाश न्याय के लिए भटक रहा है.
बीडीओ की प्रतिक्रिया: मधेपुरा टाइम्स ने
पुरैनी बीडीओ से जब फोन से बात की और ये पूछा कि एक बार नियोजन पत्र निर्गत कर
योगदान करने के बाद एक महीने से अधिक नौकरी कराकर प्रकाश का नियोजन क्यों रद्द
किया गया ? यदि प्रकाश की योग्यता कम थी तो नियोजन पत्र निर्गत करने से पहले क्यों
नहीं जाँच गई ? और जब लिखित में उसे शिक्षक के रूप में योगदान करने का आदेश
प्राप्त हुआ था तो अब मौखिक रूप में उसे क्यों मना किया गया ? बीडीओ साहब ने
मधेपुरा टाइम्स से कहा कि वह अपने कार्यालय के सुधीर कुमार सिंह से मामले की
तहकीकात कर ही जवाब दे सकेंगे.
मधेपुरा टाइम्स की सलाह: मधेपुरा टाइम्स ने प्रकाश
को सलाह दी कि वे बीडीओ और स्कूल के प्रधानाध्यापक से लिखित में मांगे कि उनका
नियोजन रद्द कर दिया गया है. प्रखंड स्तर के अधिकारियों को किसी प्रकार का आवेदन
देने पर उसका रिसीविंग जरूर लें. साथ ही जब तक उन्हें नियोजन रद्द करने के सम्बन्ध
में लिखित आदेश न मिल जाए वो स्कूल जाकर अध्यापन का कार्य करें. क्योंकि प्रकाश हो
सकते हैं किसी साजिस के शिकार. जैसे कि अब उसे हाजरी बही पर हाजरी बनाने नहीं दी
जा रही है, और बाद में उसे बिना सूचना के गायब रहने के आरोप में बर्खास्त न कर
दिया जाय.
मामला
गंभीर है, और एक बार नियोजन पत्र निर्गत कर उसे मौखिक रद्द करना बीडीओ की लापरवाही
को दर्शाता है. लापरवाही ऐसी जो किसी की जिंदगी बर्बाद कर रख दे.
बीडीओ और उसके शागिर्द की साजिस में फंसा विकलांग शिक्षक !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 11, 2013
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