|राजीव रंजन|03 अगस्त 2013|
कहते हैं एक आम आदमी जिंदगी पूरी होने पर एक बार
मरता है, पर एक कंजूस आदमी की मौत एक दिन में कई बार होती है. मधेपुरा में पैसे
बचाने की जुगत में एक बैंक अधिकारी ने अपने ही नौनिहालों की जिंदगी खतरे में डाल
दी है.
मधेपुरा
टाइम्स ने जब सुबह-सुबह एक मोटरसायकिल पर चालक को पांच बच्चों को लादकर ले जाते
देखा तो उससे रोक कर कई बातें पूछी. चालक ने अपना नाम सुनील कुमार बताया और कहा कि
उसके मामा यहीं बैंक में अधिकारी हैं. उन्हें अधिकारी मामा ने परिवार के कुल
ग्यारह बच्चों को स्थानीय हॉली क्रॉस पहुंचाने का भार दिया है. वे दो खेप में
ग्यारहों ‘कल के
भविष्य’ को मोटरसायकिल से
पहुंचाते हैं.
मोटरसायकिल
पर लदे बच्चे कभी भी सड़क पर गिर सकते हैं. एक दूसरे को कस कर पकड़े बच्चों का
संतुलन अचानक ब्रेक लेने या सामने किसी तरह का व्यवधान आने पर बिगड़ सकता है और
उसके बाद किसी भी परिस्थिति की आशंका व्यक्त की जा सकती है. आए दिन दुर्घटना के
बाद सड़क जाम, हंगामा आदि से प्रशासन को भी डिस्टर्ब किया जाता है.
ऐसे में
आवश्यकता है कि हम अपने बच्चों की जिंदगी को सुरक्षित रखने के हरसंभव प्रयास करें
और इस मूर्ख मनोवृत्ति से बचें कि ‘जब जो होना होगा होगा ही’.
बैंक अधिकारी की करतूत से उनके बच्चों की जान खतरे में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 03, 2013
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