|वि० सं०|30 जुलाई 2013|
समय भले ही बदल रहा हो, पर मधेपुरा जैसे पिछड़े इलाके
में अब भी कई लोग मधेपुरा को खुद की जागीर मानते हैं. जिले के कई गाँवों की स्थिति
तो ये है कि यहाँ के ‘मुखपुरुष’ गाँव को अब तक बपौती जागीर मान
रहे हैं. सरकार द्वारा चलाये जा रहे कई कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वयन करने का
भार भले ही सरकार किसी को अधिकृत कर दे दे, पर खुद को सबसे बड़ा मानने वाले ये गाँव
के ‘डॉन’ उसमें से एक हिस्सा की चाह तो
रखते ही हैं, साथ ही इनका ये भी मानना है कि अधिकृत व्यक्ति सरकार के द्वारा
निर्धारित नियमों पर नहीं, बल्कि उनकी सलाह पर काम करें.
मधेपुरा
जिले के सिंहेश्वर प्रखंड के सिंगियोन स्थित कस्तूरबा विद्यालय को ग्रामीणों ने
बर्बाद करने के प्रयास में कोई कसर बाकी नहीं रखा. विद्यालय के वार्डेन पर जब कुछ
दबंगों का दवाब काम नहीं किया तो विद्यालय में कई दफे चोरियां भी करवा डाली. हैरत की
बात तो ये रही कि रात के अँधेरे में हुई चोरियों के दिन स्कूल के गार्ड नियम को
तोड़कर विद्यालय से गायब रहे. हाल में हुई एक चोरी में जब पुलिस की जांच का शिकंजा
साजिशकर्ताओं में से एक-दो व्यक्तियों पर कसने लगा तो अब उन्होंने सीधी तौर पर
विद्यालय के वार्डेन पर हमला बोल दिया. खुल कर बर्बाद कर देने और केश में फंसा
देने तक की धमकियाँ दी जा रही हैं.
यही
नहीं गाँव में दशकों से घटिया राजनीति को अंजाम देने वाले इन लोगों को ये भी पता
है कि प्रखंड के एकाध पत्रकार सौ-पचास रूपये लेकर उनके कहने पर किसी के विरूद्ध
कुछ भी छाप सकते हैं.
कुल
मिलाकर स्थिति यह है कि अत्यंत ही दवाब में काम कर रही वार्डेन रेणु कुमारी ने अब
नौकरी छोड़ देने का मन बना लिया है.
देश के बड़े राजनेता भले ही अपने
को राजनीति में गुरु मानते हों, पर यकीन मानिए वे गाँव की इस घटिया राजनीति का
मुकाबला नहीं कर सकते क्योंकि गांव में नेतागिरी कर रहे इन नेताओं से ज्यादा मक्कार
पृथ्वी पर खोजने से नहीं मिलेगा.
ग्रामीण राजनीति का काला चेहरा: मधेपुरा के एक वार्डेन को किया तबाह
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 30, 2013
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yahi haal Madhya Vidyalay aur Kasturba Vidyalaya Bhelwa (Gamharia Prakhand) ka hai
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