|वि.सं.|01 मई 2013|
चिकित्सा विज्ञान लाख प्रगति का दावा कर ले पर अभी
भी बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो बीमारी का इलाज झाड़-फूंक और अंधविश्वास के उपायों से
करवाते हैं. मधेपुरा में छाती दर्द से पीड़ित एक व्यक्ति ने आराम पाने के लिए अपनी
छाती पर कचिया जैसे नुकीले हथियार से तीन दर्जन से अधिक छेद करवा लिए. और यह छेद
और कोई नहीं उसकी धर्मपत्नी ने ही किया.
      व्यवहार
न्यायालय मधेपुरा में अनुसेवक की नौकरी कर रहे छोटेलाल मरांडी आदिवासी समाज से आते
हैं और बताते हैं कि उनके समाज में अभी भी कई बीमारियों का इलाज आदिवासी समाज की
पुरानी मान्यताओं के मुताबिक ही किया जाता है. उन्होंने दावा किया कि इस विधि से
उन्हें छाती दर्द में आराम हो गया. साथ ही उनका दावा है कि झाड़-फूंक तथा अन्य विधियों
को अपनाकर उनका समाज लकवा और अन्य बड़ी बीमारियों पर भी विजय हासिल कर लेता है.
      चिकित्सा
विज्ञान में होने वाली रोज की प्रगति से इन्हें कोई लेना-देना नहीं है. चिकित्सकों
की मानें तो इनके द्वारा इलाज की विधि का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और इनके समाज
के बहुत से लोग आज भी अंधविश्वास में डूबे हुए हैं. कई व्यक्ति इन सबकी वजह इनका
अशिक्षित और रूढिवादी होना बताते हैं.
      पर
छोटेलाल मरांडी जैसे कई लोग हैं जिन्हें इस बात की तनिक भी परवाह नहीं है कि
पढ़े-लिखे लोग उनके बारे में क्या कहते हैं. लोगों की नजर में अंधविश्वास में
ही  उनका विश्वास है.
दर्द में पत्नी से छाती पर कचिया से करवाया तीन दर्जन से अधिक छेद 
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