भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा
लेने वाले मधेपुरा जिला के कुमारखंड प्रखंड के एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी त्रिवेणी
प्रसाद सिंह के निधन से इलाके में शोक की लहर फ़ैल गई. कुमारखंड प्रखंड के ईसरायन
कला निवासी त्रिवेणी प्रसाद सिंह 97 वर्ष के थे और बुधवार की रात में उनका निधन पीएमसीएच
में इलाज के दौरान हो गया.
स्वतंत्रता
संग्राम में सक्रिय भूमिका: 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने
वाले इस स्वतंत्रता सेनानी के मन में देश की आजादी की भावना स्वतंत्रता सेनानी
रामानंद तिवारी से मिलकर जगी थी और इन्होने पुलिस की नौकरी तक छोड़ दी. जमशेदपुर के
जुगसलाई से अंग्रेज विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करने के आरोप में त्रिवेणी
प्रसाद सिंह को फिरंगी फ़ौज ने गिरफ्तार किया था और हजारीबाग सेन्ट्रल जेल में
रखा. कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण को जेल से भगाने में भी इनकी बड़ी भूमिका थी जिस
आरोप में इन्हें वहां से हटा कर गया सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया था, पर रामानंद
तिवारी के उपवास के बाद फिर जयप्रकाश नारायण को भगाने के सारे आरोपियों को दुमका
सेन्ट्रल जेल में रखा गया जहाँ त्रिवेणी प्रसाद सिंह को अठारह महीने की सजा दी गई
थी. बाद में वे जयप्रकाश नारायण की प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के भी सक्रिय सदस्य के
रूप में काम किये.
उनका दाह संस्कार उनके पैतृक गाँव ईसराइन
कला में ही किया गया जिसके दौरान कुमारखंड की बीडीओ आशा कुमारी, श्रीनगर थाना के
थानाध्यक्ष जगनिवास सिंह, मुखिया अंजना झा, राधारमण सिंह, ललन प्रसाद सिंह, मनोज
सिंह, शशिभूषण सिंह समेत सैंकड़ों लोग उपस्थित थे. वे अपने पीछे तीन बेटे नरेंद्र, अनिल और विनोद व एक
बेटी रेणु को छोड़ गए हैं. उनके निधन पर लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है.
स्वतंत्रता सेनानी त्रिवेणी प्रसाद सिंह के निधन से शोक की लहर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 05, 2013
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