बिहार में राजभवन की गरिमा को ताक पर रखने
वाले राज्यपाल देवानंद कुंवर को बिहार से आज हटा दिया गया ।
त्रिपुरा के राज्यपाल डी वाई
पाटिल बिहार के नए राज्यपाल बनाये गये हैं । कुंवर को त्रिपुरा
भेज दिया गया है ।
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देवानंद कुंवर |
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डी.वाई. पाटिल |
मैंने 19 फरवरी को ही कुंवर के बारे में लिखा था,छी...छी....लाट साहेब । पढ़िए आप भी:
बिहार के अपने लाट
साहेब गवर्नर देवानंद कुंवर जी बूटा सिंह साहेब से भी आगे
जाते दिख रहे हैं । बगैर राष्ट्रपति शासन के भी राजभवन
में गंगा बह सकती है,प्रमाणित किया है कुंवर जी ने । साहेब की लाली दूसरे
कांग्रेसियों को ललचा सकती है । सूबे में एनडीए का शासन है । पोलपट्टी
नीतीश कुमार खोलते,तो आरोप की श्रेणी में आता । लेकिन अब तो कांग्रेस की
वरिष्ठ एमएलसी ज्योति ने असेंबली में सीधे-सीधे पूछा,वीसी की कुर्सी कितने में
बेची,एक करोड़ या दो करोड़
।
कालेजों के प्रिंसिपल की कीमत
भी लगी,रिपोर्टरों को ज्योति
ने ही बताया । कुलाधिपति होने के नाते नियुक्ति/तबादले
का अधिकार लाट साहेब को है । रिवाज वाइस चांसलर की
नियुक्ति में सरकार से परामर्श का है । लेकिन 'एथिक्स' में भरोसा अपने कुंवर
साहेब नहीं करते । कह सकते हैं,थेथर हैं । पहले हाई कोर्ट ने इनके द्वारा
की गई नियुक्तियों को रद्द किया । लेकिन दुबारा नियुक्ति के वक्त
फिर से कई पुराने बहाल हो गये । सीनाजोरी के इस कृत्य को आप पुराने 'क्लाइंट' के साथ पहले हो चुके
एग्रीमेंट का 'रिन्यूवल' कह सकते हैं । ऐसे में,ज्योति के सवाल
दमदार लगते हैं ।
नीतीश कुमार राजभवन की
मनमर्जी पर पहले बोल चुके हैं । कहा है कि जो हालात हैं,सरकार के साथ राय-मशविरा
की व्यवस्था समाप्त कर दी जानी चाहिए । सरकार केवल धन दे,ध्यान न दे,राजभवन की ख्वाहिश
है । लाट साहेब के द्वारा नियुक्त वाइस
चांसलरों में कइयों के खिलाफ पहले से कई तरह की शिकायतें हैं । बिहार के विश्वविद्यालयों
की स्थिति क्या है,राष्ट्रीय स्तर पर सभी जानते हैं ।
सरकार और राजभवन की टकराहट का अंजाम और भी बुरा होना है ।
ज्योति के तीखे वार पर लाट
साहेब 'ओनली डिस्टरबिंग
एलिमेंट'
से
ज्यादा कुछ बोल नहीं पाये । ज्योति के गुस्से को
देखने का नजरिया कुछेक का अलग भी है । वजह कि मोर्चेबंदी से
सत्ता पक्ष को परम सुख की प्राप्ति भी हुई । कहने वाले कह रहे हैं कि
मैडम विधान पार्षद की पारी खत्म होने के बाद पाला बदलने का तो नहीं सोच
रहीं । खैर,इस बतकही में फंसने
से ज्यादा जरुरी 'सेल प्राइस' को जानना आवश्यक है
। सभी जान रहे हैं कि कीमत लग रही है । विश्वविद्यालय/कालेज
बेचे जा रहे हैं,तो किसी भी मसले से
यह ज्यादा गंभीर अपराध है ।
ऐसा नहीं कि कांग्रेस
आलाकमान को बिहार के गवर्नर हाउस की गतिविधियों का पता नहीं,लेकिन वह आदतन चुप है
। कई मौके पर पहले भी स्वयं कांग्रेसी ही साहेब की शिकायत कर चुके
हैं । 'काकस' के बारे में बता चुके
हैं । लेकिन शिकायतों से साहेब की सेहत पर कोई असर
नहीं पड़ता। दिल्ली लाबिंग तगड़ी है । इस लाबिंग की वजह
से ही असम की राजनीति में हाशिये पर जाने के बाद भी राज्यपाल की कुर्सी
मिली थी । फिर मिलेगी कि नहीं,पता नहीं,ऐसे में गुल खिला भी रहे,तो हर्ज क्या है,कम से कम 'एनडीटी' की तरह रंगरेलियां तो
नहीं
मना
रहे । कुछ बेच ही रहे हैं न............राजनीति में सब चलता है भाई ।
ज्ञानेश्वर वात्स्यायन , पटना
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और दैनिक जागरण के संपादक रह चुके हैं)
छी,छी.....लाट साहेब
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 09, 2013
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पाटलिपुत्र के महामहिम की छुट्टी, बची बिहार की उच्च शिक्षा।
ReplyDeleteसंवैधानिक दुराचारी देवानंद कोंवर जिसने अपने पद की गरिमा और मर्यादा का उलघन करते हुए बिहार में उच्च शिक्षा को बर्बाद करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, उनकी आज बिहार से छुट्टी हो गयी। भ्रष्टाचार की क्षुद्रता इतनी बढ़ गयी थी की मधेपुरा के बी एन मंडल विश्वविद्यालय सजायाफ्ता डॉन पप्पू यादव के गिरफ्त में हो चला था। एक एक वी सी का पद करोड़ों में बेचा गया। जिसकी संज्ञान देश के शीर्ष न्यायालय ने भी लिया। अब त्रिपुरा सावधान जहाँ ये गए हैं।