|राकेश सिंह|16 फरवरी 2013|
“नशे में कौन नहीं है, मुझे बताओ जरा...किसे है होश मेरे
सामने तो लाओ जरा..” की
तर्ज पर जिला शराब के दौर में अदभुत प्रगति कर चुका है. जिला प्रशासन भले ही
एक्का-दुक्का को पकड़ कर फाइन लगवा दे पर शराबियों का खुले आम कहना है मैं किसी के
बाप के पैसे के नहीं पीता हूँ और यदि सरकार चाहती है कि शराबखोरी बंद हो तो तो
दुकानों को बंद क्यों नहीं करवा देती है. नौटंकी हम नही सरकार कर रही है.
यदि आप
शाम के बाद मधेपुरा शहर का एक चक्कर लगा लें तो आपको कई जगह नौटंकी करते पियक्कड़
महाराज के दिव्यदर्शन हो जायेंगे. शहर के क्राइम जोन यानी पश्चिमी बाय-पास
में तो अक्सर नशे में धुत्त सड़क पर गिरे शराबी जिले की प्रगति को दर्शाते मिल
जायेंगे.
आइये हम
पेश करते हैं आपके सामने एक नमूना.
क्लब
रोड का अंतिम छोर जहाँ सड़क पश्चिमी बाय पास में मिलती है और वहाँ है एक पीपल का
पेड़. अक्सर वहां उचक्कों का जमावड़ा होता है. नशे में धुत्त एक व्यक्ति वहां मुंह
के बल गिरा पड़ा है. पूछने पर कहता है मेरा मन है मैं पीयूँगा. कोई तुम्हे रोकता
नहीं है के सवाल पर फिर कहता है मैं दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच. आगे बताता है मैं
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच में मोची का काम करता हूँ. घर कैसे जाओगे के सवाल पर कहता
है पता नहीं.
थाने की
पुलिस की गश्ती टीम की एक बड़ी ही खराब आदत ये है कि वो सीधा अपने रास्ते जाती रहती
है. कहीं बड़ी भीड़ हुई तो रुक कर पूछा वर्ना हम अपना काम कर रहे हैं और तुम अपना
काम करते रहो. किसी तरह नौकरी गुजार देनी है. गरज ये कि उनका फॉर्मूला है:
‘सुबह होगी फिर शाम होगी, यूं ही
जिंदगी तमाम होगी’.
नशे में धुत्त कहा- “मैं हूँ दिल्ली पुलिस- क्राइम ब्रांच...!”
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 16, 2013
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