कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं लेकिन
सीधे इसके उलट हैवान के रूप में एक डॉक्टर का कारनामा मधेपुरा में सामने
आया जिसे जानकार आप भी सदमे में आ जायेंगे. ऐसा डॉक्टर जो इलाज करने की बात तो दूर
उन्हें ब्लड ग्रुप जांच कर तय करने की तो हुनर तक नहीं है जिसके कारण ब्लड ग्रुप
के हेर-फेर ने मधेपुरा के 20 वर्षीय सूरज को सदा के लिए अस्त कर दिया.
बी.ए.
के छात्र रहे मृतक सूरज के परिजनों के मुताबिक़ योगेन्द्र प्रसाद स्वर्णकार के 20
वर्षीय पुत्र सूरज कुमार की जब तबियत खराब हुई तो उसे परिजन इलाज के लिए
जयपालपट्टी चौक स्थित एक डॉक्टर आर. के. पप्पू के पास इलाज के लिए ले गये जहाँ
डॉक्टर ने सूरज के शरीर मे खून की कमी बबते हुए उसे खून चढाने की सलाह दी और अपने
क्लिनिक परिसर मे खुले लैब मे ब्लड ग्रुप जांच करवाया. जांच के बाद सूरज का ब्लड
गुप AB+ दिखाया गया फिर परिजनों के सहयोग
से इसी ग्रुप का ब्लड सूरज को चढ़ाया गया लेकिन स्थिति सुधरने की बजाय और भी बिगड़
गयी. तब आनन-फानन मे परिजनों द्वारा सूरज को पटना के प्रसिद्ध इंदिरा गांधी
आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया जहाँ जांच मे सूरज का ब्लड ग्रुप O+ निकला. डॉक्टर ने साफ़ कर दिया कि सूरज के शरीर मे O+ की जगह AB+ ग्रुप
का खून चढाये जाने के कारण ही उसकी स्थिति इतनी बिगड़ गयी है जिसे बचाना अब असंभव
सा है. तब परिजनों ने सूरज को पटना के ही राजेश्वर हॉस्पिटल के आईसीयू मे भर्ती
कराया जहाँ सूरज की मौत हो गयी.

मधेपुरा
के चिकित्सक की लापरवाही के दुखी और आक्रोशित परिजन आज सूरज की लाश को पटना से
लेकर पहले मधेपुरा थाना पहुंचे और दोषी चिकित्सक पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करने
लगे. थानाध्यक्ष नवीन कुमार सिंह ने वरीय अधिकारी से बात कर एफआईआर दर्ज करने का
आश्वासन दिया. उधर जहाँ मृतक के घर मे जवान बेटे की मौत पर कोहराम मचा हुआ है वहीं
चिकित्सक के मधेपुरा से बाहर होने कि बात बतायी गयी है.
मधेपुरा के डॉक्टर की लापरवाही ने ली युवक की जान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 11, 2012
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is doctor ka license jabt hona chahiye..sath hi criminal case bhi banta hai
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