तुम सूर्य हो सुप्रभात का///हिमांशु शंकर त्रिवेदी

यह कष्ट क्यों किस बात का
तुम सूर्य हो सुप्रभात का
यदि जल रहे हो तो तेज है
      यदि गल रहे हो तो प्रसार है
हर कष्ट बाधा तो तुम्हारी
      योग्यता विस्तार है.
       
तुम जले चलो, तुम गले चलो
      कर्तव्य पथ पर बढ़े चलो.
 तेरी प्रभा के तेज से ही
अंत होगा रात का. 
तुम सूर्य हो सुप्रभात का.

तुम द्रुतगामी समय सरिता के
      तेजस्वी नीर हो
तुम धीर औ गंभीर हो
      निर्भीक एवं वीर हो
अन्याय देख झुको नहीं
      कठिनाई देख रुको नहीं
मस्तक जो उखल में दिया
      भय क्यों भला आघात का.
तुम सूर्य हो सुप्रभात का.

--हिमांशु शंकर त्रिवेदी,
  सहायक पुलिस अधीक्षक, मधेपुरा
तुम सूर्य हो सुप्रभात का///हिमांशु शंकर त्रिवेदी तुम सूर्य हो सुप्रभात का///हिमांशु शंकर त्रिवेदी Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 25, 2012 Rating: 5

2 comments:

  1. behad achchi aur prerak rachana....mujhe ummid hai ki aap isi behtar soch ke sath apni prashasnik jimmedariyon ko nibhaiega.....

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  2. bahut hi achchhi aur prerak ra chna....mujhe ummid hai ki isi khoobsurat soch ke sath apni prashasnik jimmedariyon ko nibhaiega...

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