तस्करों की तिरछी नजर मधेपुरा के कछुओं पर

 नि० प्र०/01/11/2012
2008 की कुसहा बाढ़ त्रासदी का असर अभी तक जिले में है. इस त्रासदी में जहाँ लाखों लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे वहीं कुछ लोगों ने इसका जम कर लाभ उठाया था. अब जिले में कछुए के तस्कर अपनी पैठ बनाये हुए हैं.
            बाढ़ के पानी में बहकर बहुत सारे कछुए भी इलाकों में आ गए थे. पानी घटा तो ये बाहर निकलने लगे और यहीं से ये तस्करों का शिकार बनने लगे. सूत्रों का मानना है कि इस इलाके कछुए अब दूर-दूर भेजे जाने लगे हैं. तस्करी का खुलासा करते हुए मुरहो के भानु प्रताप मंडल बताते हैं कि बाहर के तस्करों ने इलाके के कुछ गरीब लोगों को इस काम के लिए प्रलोभित कर रखा है. कछुआ पकड़ने के बाद इसे ब्रीफकेस या बोरे में बंदकर दूसरे इलाकों में भेज दिया जाता है जहाँ इनकी बड़ी कीमत लगाई जाती है. श्री मंडल ने कछुओं की तस्करी की लिखित सूचना जिलाधिकारी को भी दी है ताकि इस पर रोक लग सके.
तस्करों की तिरछी नजर मधेपुरा के कछुओं पर तस्करों की तिरछी नजर मधेपुरा के कछुओं पर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 01, 2012 Rating: 5

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