नि० प्र०/30/10/2012
मधेपुरा जिले के अधिकाँश किसान फिर से अपने को ठगा
महसूस कर रहे हैं. उनके बुने सपने बिखरते नजर आ रहे हैं क्योंकि इस साल भी धान की
फसल ने उन्हें दे दिया है ऐसा धोखा कि इससे उबरने में काफी दिन उन्हें लगेंगे. लहलहाती
फसल को देखकर वे जितना ही खुश हो रहे थे अब उतनी ही चिंता उन्हें घेरे हुई है
क्योंकि धान की बाली में दाना ही नहीं है.
कहीं कहीं तो धान कि फसल में बाली ही
नहीं है. किसानों में जहाँ इस बात को लेकर हाहाकार मचा हुआ है वहीं जिला के कृषि
पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद इस बात से अनभिज्ञ हैं. जब कृषि पदाधिकारी का ही ये हाल
है तो पंचायत स्तर के कर्मी यदि चुप्पी साधे हैं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात
नहीं.

इस
बार जिले के अधिकाँश किसानों ने जहाँ सरकारी बीज का इस्तेमाल किया था वहीं कुछ ने
अपने पास रखे बीजों को बोया था. पर दोनों ही स्थिति में उन्होंने धोखा ही खाया है.
ऐसे में उन्हें बहुत कुछ समझ में नहीं आ रहा है. और एक बात तो बिलकुल ही समझ में
नहीं आ रही है कि उन्होंने जो कर्ज लेकर बीज बोया था वो कर्ज टूटेगा कैसे और कैसे
चल सकेगी इस बार परिवार की रोजी-रोटी ???
किसानों में हाहाकार: धान की बाली में दाने नहीं
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 30, 2012
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